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शौकिया दुखियारों को एक सलाह

।। लोकनाथ तिवारी।। (प्रभात खबर, रांची) भाई साब! क्या आप शादीशुदा हैं? जी नहीं.. वैसे ही दुखी हूं. शादीशुदा लोगों के मुंह पर सदा बारह बजे रहने के कारण हजार हो सकते हैं, लेकिन शौकिया दुखियारों की भी इस दुनिया में कमी नहीं है. कम से कम अपने भारतवर्ष में तो ऐसे भाग्यवान बहुतेरे हैं, जिनको न आटे-दाल का भाव पता है, न सबला पत्नियों से पाला पड़ा है, फिर भी शादी की सिल्वर जुबली मना रहे पतियों की तरह दुखियारे दिखते हैं. इस तरह के गैर-शादीशुदा दुखियारों की जमात में वीवीआइपी मानुष भी हैं. जिज्ञासा काबू में रखिए, बताये देते हैं, इस जमात में सबसे आगे हमारे राहुल बाबा अर्थात कांग्रेस के आलाकमान नंबर दो हैं. उनके चेहरे से हंसी गायब देख कर आपको नहीं लगता कि ये हम शादीशुदा लोगों की तरह पीड़ित हैं. दूसरे नंबर पर हैं, प्रधानमंत्री की कुरसी का ख्वाब सजानेवाले धीर-गंभीर नरेंद्र मोदी. इनका चेहरा देख कर भी लगता है कि शादीशुदा लोगों की पीड़ा ङोल रहे हैं. अब कोई कहेगा कि इनको देश-दुनिया की चिंता सता रही है. अरे भई, कभी सबला पत्नियों को ङोलनेवालों से पूछते कि सतानेवाली चिंता क्या होती है. पति ऑफिस में