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Showing posts from November, 2016

धन काला या मन काला

अगर हमारे देश में लोग स्वत: अपना आयकर सहित अन्य कर च्ाुकाने लगे तो कई समस्याओं का समाधान अपनेआप हो जायेगा। इसके लिए हमारी मानसिकता बदलनी होगी। कानूनी चाब्ाुक के डर से कर च्ाुकाने की प्रवृत्ति से किनारा करना होगा। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पांच सौ और एक हजार के नोट अचानक बंद करके सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अपनी इस पहल से मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए वह कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार है। इससे पहले 1978 में एक हजार, पांच हजार और दस हजार रुपये के नोट वापस लिए गए थे। लेकिन उन दिनों ये नोट बहुत ज्यादा चलन में नहीं थे। आज पांच सौ और एक हजार का चलन इतना ज्यादा है, जितना उस वक्त दस-बीस के नोटों का रहा होगा। एक आकलन के मुताबिक 2011 से 2016 के बीच 500 रुपये के नोटों की संख्या 76 फीसदी और 1,000 रुपये के नोटों की तादाद 109 फीसदी बढ़ गई, जिससे यह संदेह भी गहराने लगा कि बड़ी संख्या में जाली नोट चलन में आ गए हैं। इन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के नेटवर्क के जरिए नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत भेजा जा रहा है। जाली नोट का इस्तेमाल अर्थ

कट्टरपंथ का बोलबाला

अमेरिकी च्ाुनाव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कट्टरपंथ के प्रति आम लोगों के रवैये में परिवर्तन आया है। तमाम विरोधों को दरकिनार कर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक में सौजन्यतामूलक माहौल में चर्चा हुई। ओबामा ने बताया है कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के बाद व्हाइट हाउस में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पहली मुलाकात में कई मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की है। उनकी पहली प्राथमिकता यह सुनिश्‍चित करना है कि अगले दो महीने में सत्ता का हस्तांतरण सहज हो। उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप सफल होंगे तो देश सफल होगा। चुनाव के दौरान अमेरिकी समाज में कई मुद्दों पर मतभेद सामने आने पर ओबामा ने कहा, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि पार्टी और राजनीतिक वरीयताओं की परवाह किए बिना सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सब एक साथ आएं। ट्रंप ने कहा कि ओबामा के साथ बातचीत उम्मीद से अधिक लंबी चली। इसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। ट्रंप ने भविष्य में ओबामा के साथ काम करने में दिलचस्पी दिखाई। हालांकि अमेरिका में चुनाव नतीजे आने के बाद से ही विजयी उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप के खिल

ट्रंप की जीत के मायने

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से पूरी दुनिया मेें चर्चा श्ाुरू हो गयी है। भारत में भी इसे लेकर बहस श्ाुरू है। एक तो इसलिए कि किसी को भी उनकी ऐसी जीत की उम्मीद नहीं थी। अभी दो महीने पहले तक यह माना जा रहा था कि इस बार भी अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के लिए उम्मीद का कोई कारण नहीं है। फिर अभी एक हफ्ते पहले तक यह लगा कि वह डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिटंन को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। फिर कुछ सर्वेक्षणों ने कहा कि नहीं, जीत तो हिलेरी ही रही हैं। लेकिन कल ट्रंप जिस अंतर से जीते, वह बताता है कि चुनावी सर्वेक्षण और आकलन अक्सर भारत में ही नहीं, अमेरिका में भी चूक जाते हैं। यह अंतर बताता है कि वहां ट्रंप के समर्थन की एक हवा चल रही थी, जिसे तमाम तरह के विशेषज्ञ समझने में नाकाम रहे। इस जीत ने चौंकाया इसलिए भी है कि अमेरिका के अलावा बाकी दुनिया में उन्हें एक अगंभीर व्यक्ति माना जा रहा था, इसलिए वे चाहते नहीं थे कि ट्रंप जीतें। हाल-फिलहाल तक अमेरिकी मीडिया उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में पेश कर रहा था, जिसका स्वभाव राष्ट्रपति पद के अनुकूल नहीं है। अब जब डोनाल्ड ट्रंप जीत गए

नापाक हरकत की सेंचुरी

कहा जा रहा है कि सर्जिकल के बाद पाक ने नापाक हरकत की सेंचुरी ठोक डाली। अर्थात सीमा पर सीज फायर की 100 घटनाएं घटीं। सीमाई गांव वीरान हो गये हैं। कई स्कूलों के भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस बीच सैनिकों की शहादत जारी है। हालांकि हमारी ओर से फेस सेविंग करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का ढिंढोरा जमकर पीटा गया। सरकारी तंत्रों से लेकर भक्तों की फौज तानपूरा लेकर इसके प्रचार प्रसार में लग गयी। हालांकि भक्त विरोधी भी लट्ठ लेकर इसके विरोध में मुखर हो रहे हैं। कई कहने वाले कहते फिर रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ। जबकि आये दिन प्रचारित किया जा रहा है कि पड़ोसी आसमान में एफ-16 विमानों ने मुंह अंधेरे उड़ान भरकर सोते हुए बच्चों को कच्ची नींद से जगाकर रुला भी दिया, सेना के जवान सीमा की ओर कूच कर गए, हाईकमिश्‍नरों को बुलाकर फटकार भरी चिट्ठियों का आदान-प्रदान हो गया, दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी सामरिक समझ के हिसाब से गम, गुस्से और ख्ाुशी का इजहार कर लिया, वीर रस से ओत-प्रोत कवियों व संजीदा सेक्युलर शायरों ने पिंगल और व्याकरण के अनुरूप गीत और गजलें गढ़ लीं। यह तो वही बात हुई कि कौआ कान ले गया की कातर पुकार सुनते ही सब अप

खोंइछा गमकत जाइ

छठि घाट पर अपने गाँव के एक अधेड़ को भीख मांगते देखता, तो मेरे शिशु मन पर अनेक प्रतिक्रियाएं होतीं। हंसी आती और उन्हें चिढ़ाने की इच्छा होती। लेकिन न जाने किस प्रेरणा से उनका अनुकरण करने लगता। माँ मेरा आचरण देख खुशी से खिल उठती। दादी गद्गद् चित्त से शाबासी देती, झोली बनाकर प्रोत्साहित करती। व्रत करने करने वाली पांच महिलाओं से भीख मांगनी पड़ती, बात ही बात में मेरी झोली छठि माता के प्रसाद से भर जाती। मन ही मन खुश होता। माँ की खुशी देखकर और सुख मिलता। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मेरा जन्म हुआ था। कार्तिक सष्ठी को छठि माता का पर्व मनाया जाता है। व्रत करने वाली औरतें फल और पकवान से अपना दउरा सजाकर अपने घर के छोटे-बड़े सदस्यों के साथ सूर्यास्त के कुछ पहले ही गांव की छोटी नदी के निश्‍चित घाट ‘लंगूरी’ पर छठि के गीत गाती एकत्र हो जातीं। नदी की मिट्टी से वे स्वयं छठि मैया की रूप-रचना करतीं, उसे नानाविध संवारतीं, घी का दीप जलातीं और अस्त होते सूर्य को दूध और जल से पांच-पाच अर्घ्य निवेदित करतीं। गीत गाते कुछ देर घाट अगोरा जाता। चौबाईन गीत कढ़ाती, ‘कलऽपी कलऽपी बोलेली छठिय माता, मोरे घाटे दुब

जापान से दोस्ती पर चिढ़ा चीन

 भारत-चीन के बीच विवादों को देखते हुए जापान भारत को अपने पाले में करना चाहता है। वह चाहता है कि भारत दक्षिण चीन सागर विवाद में भी हस्तक्षेप करे। इसके लिए उसने अपनी दशकों पुरानी परमाणु नीति भी बदल ली है और भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग के लिए तैयार हो गया है। अखबार का कहना है कि पिछले कुछ सालों से शिंजो एबी प्रशासन चीन को घेरने के लिए ज्यादा सक्रिय होकर क्षेत्रीय ताकतों को गोलबंद करने में लगा है। पिछले कुछ सालों से जापान की कूटनीति पर ध्यान देने से यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है। इसने लिखा है कि भारत को जापान से परमाणु और सैन्य तकनीक की जरूरत है। इसके अलावा उसे निर्माण उद्योग और हाई स्पीड रेल जैसे ढांचागत क्षेत्र में भी ज्यादा निवेश की जरूरत है। हालांकि, अखबार का कहना है कि भारत शायद ही जापान की इच्छाओं के अनुरूप अपनी पुरानी नीति को बदलेगा। भारत और जापान ने ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौता करके अपने रिश्ते को नई गर्माहट दी है। इस करार पर शुक्रवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे ने हस्ताक्षर किए। दोनों मुल्कों के बीच परमाणु करार पर बातचीत कई वर्षों से जा

क्यों पिछड़ रहा बंगाल

सिंग्ाुर में जनांदोलन की जीत पर हम भले ही मूसल से ढोल बजा रहे हैं, लेकिन औद्योगिक निवेश के मामले में पश्‍चिम बंगाल फिसड्डी ही साबित हो रहा है। इसके पीछे कारण क्या है, इस पर विचार किया जाना चाहिए। भारत का औद्योगिक भूगोल को जानने की जरूरत है। देश के कुछ इलाके, कुछ राज्य तो ऐसे हैं, जहां एक के बाद एक नए उद्योग लगते हैं, लोगों को रोजगार मिलता है और उनकी तरक्की के आंकड़े हमें चौंकाते हैं। इसके विपरीत वे राज्य हैं, जहां औद्योगिक निवेश बहुत कम होता है और साल-दर-साल हम उन्हें पिछड़े राज्यों में गिनते हैं। विश्‍व बैंक ने कारोबार में आसानी के लिहाज से देश के राज्यों की जो रैंकिंग प्रकाशित की है, वह इस भूगोल का सही आकलन पेश करती है। इससे हम उन कारणों को भी आसानी से समझ सकते हैं, जिनकी वजह से कोई राज्य समृद्ध हो जाता है और कोई पीछे रह जाता है। इस रैंकिंग का पैमाना बहुत सीधा है। विश्‍व बैंक हर कुछ समय के बाद यह सुझाता है कि राज्यों को अपने यहां कौन-कौन से आर्थिक सुधार करने चाहिए। बाद में राज्यों द्वारा किए गए सुधारों के आधार पर उनकी रैंकिंग तैयार की जाती है। यह मामला सिर्फ सुधार का नहीं है। निवेशक

प्राणियों का दुश्मन है मानव

लोकनाथ तिवारी (Lokenath Tiwary) पृथ्वी पर अपने आप को सबसे उम्दा जीव माननेवाला मानव अपनी करतूतों से अब दूसरे प्राणियों के लिए घातक होता जा रहा है। मानव की लोभ लिप्सा के शिकार अन्य जीवों को होना पड़ रहा है। हम न केवल उनका भक्षण कर रहे हैं बल्कि उनके रहन सहन को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। यहां तक कि हम अपने रहने के लिए उनके इलाके पर दखल करते जा रहे हैं। मानवों की आबादी तो बढ़ती जा रही है लेकिन अन्य जीवों पर संकट बढ़ता जा रहा है।  डब्लूडब्लूएफ की ताजा रिपोर्ट ने हमें एक बार फिर याद दिलाया है कि इस धरती पर जीवन कितना कठिन होता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक वन्य जीवों का दो तिहाई से भी ज्यादा हिस्सा विलुप्त हो जाएगा। डब्लूडब्लूएफ यानी वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर की 2016 की रिपोर्ट विस्तार से बताती है कि प्रजातियों के लुप्त होने का यह सिलसिला कोई नया नहीं है। 1970 से 2012 के बीच मछलियों, पक्षियों, स्तनधारियों, उभयचरों और सरीसृप जंतुओं का 58 फीसदी हिस्सा समाप्त हो गया। इसी अवधि में स्थलीय जंतुओं की आबादी में 38 फीसदी, मीठे पानी में रहने वाले जीवों की आबादी में 81 फीसदी और समुद्र