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Showing posts from September, 2016

अब भ्रामक विज्ञापन किये तो खैर नहीं

एक हफ्ते में गोरापन और 15 दिन में मोटापा कम करने जैसे तमाम विज्ञापन आपने टीवी पर देखे होंगे। हजारों- लाखों लोगों ने ऐसे प्रोडक्ट्स को खरीदा होगा जिससे वह एक हफ्ते में गोरे हो जाएं या फिर 15 दिन में अपना मोटापा कम कर लें। कई बार इनसे लोगों को फायदा होता है लेकिन बहुत बार वह धोखे का शिकार हो जाते हैं। टेलीविजन सहित तमाम संचार माध्यमों का मूल काम समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों को उजागर करना होता है, जिस से भोली-भाली जनता इन सब के चक्कर में ना पड़ें और जनता की मेहनत की कमाई को इन लूटेरों द्वारा लूटे जाने से बचाया जा सके। झूठे वादे और भ्रम ़फैलाने वाले विज्ञापन के कार्यक्रमों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सरकार ने कई नियम बनाए  है पर इसके बावजूद इनका सही समय पर प्रयोग ना किये जाने के कारण इसका असर नाकाफी हो जाता है। ढेरों भ्रामक विज्ञापन इन दिनों प्रचार माध्यम खासकर टीवी पर  प्रसारित हो रहे हैं। उनमें से कही बाबा का दरबार लग रहा है तो कोई फिल्मी सितारा संधी-सुधा तेल बेच रहा है या फिर शनिदेव का प्रकोप या यंत्र तंत्र के विज्ञापन। ये लोगों को जिंदगी को रातों रात बदलने का दावा कर, अपना माल

कश्मीर पर गपबाजी से क्या हासिल होगा ?

पीओके को लेकर गरमागरम बयानबाजी के बीच हमारे कश्मीर में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहा। कश्मीर पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान को जवाब देने पर ज्यादा जोर रहा। राज्य के लिए किसी ठोस राजनीतिक पहल की शुरुआत का कोई संकेत नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में कश्मीर की तमाम समस्याओं के लिए सीमा पार से हो रही आतंकी घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भी हमारा है। अब पाकिस्तान को पीओके और बलूचिस्तान में अत्याचार पर जवाब देना होगा। पिछले एक महीने से, जब से कश्मीर में हिंसा का यह दौर शुरू हुआ है, तब से पाकिस्तान हमारे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है। वह कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का हल्ला मचा रहा है लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि पीओके में भी हालात बेहद खराब हैं। हाल में वहां हुए चुनाव में जबर्दस्त धांधली हुई है और लोगों का पाक सरकार के खिलाफ आक्रोश उफान पर है। धांधली के विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए। उनका आरोप था कि चुनाव में मुस्लिम लीग को जिताने के लिए आईएसआई ने धांधली करवाई। विरोध करने वालों को सेना और पुलिस ने जम कर पीटा। वहां

डायलॉग ऐसे कि अभिनेता शरमाये

डायलॉग ऐसे कि अभिनेता शरमाये लोकनाथ तिवारी (Lokenath Tiwary) गाय, दलित, हिंदू, अल्पसंख्यक, बीफ, योग और पता नहीं क्या-क्या। इनके बीच क्या समानता है, यह तो फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयोलॉजी और मॉलीक्यूलर साइंस के ज्ञाता ही विस्तार से बता पायेंगे, लेकिन हम जैसे मंद ब्ाुद्धि इनके बीच एक ही समीकरण को कॉमन मान सकते हैं। वह है वोट। वोट के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते हैं। अपने 56 इंच वाले महापुरुष भी अगर भाव विभोर होकर इस पर बयान दे बैठें तो इसमें आश्‍चर्य कैसा? कांग्रेस, बसपा, सपा सहित सभी पार्टियां इन मुद्दों पर पहले ही स्वत्वाधिकार जमाये बैठी है। हालांकि ढके छुपे शब्दों में वे भी स्वीकार कर रहे हैं कि दो साल बाद ही सही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाय, मानवता और आपसी भाईचारे पर खुलकर जो बोला, वह समय की मांग थी और प्रशंसनीय भी है। इससे निश्‍चय ही एक अच्छा संदेश गया है। यदि वह शुरू में ही इस पर बोलते, तो कुछ और बात होती। तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण से जल, जंगल व जमीन के साथ सिर्फ गाय ही नहीं, पूरा पशुधन तेजी से लुप्त हो रहा है। बेचारी गाय ही नहीं, अब तो इंसान की भी कहां कदर रह गई है? व