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Showing posts from September, 2014

आप तो बड़े जहीन हैं मियां !

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची   ब्रrांड में सबसे बुद्धिमान प्राणी कौन है? एक सुर में इसका जवाब कोई भी दे सकता है. आप भी. हम भी. लेकिन इसका जवाब सदैव पक्षपात पूर्ण ही माना जायेगा. अपने मुंह मियां मिट्ठ बनने वाले प्राणियों में शिरोमणि माने जानेवाले मनुष्य को इसका जवाब देने में जरा भी संकोच नहीं होता. सभी एक सुर में इसका जवाब देंगे. मनुष्य. यह सही है कि इसका जवाब जानने के लिए हमने अन्य प्राणियों की प्रतिक्रिया तो ली नहीं. उनका जवाब सुन व समझ लेते तो शायद मानव जाति की खुशफहमी ही दूर हो जाती. आप सोच रहे होंगे कि अनायास ही इस तरह के दार्शनिक विचार हमारी खोपड़ी में तो आ नहीं सकते. आप सही हैं. जबसे हमारे प्रधानमंत्री साहब ने मुसलमानों को देशभक्ति का सर्टिफिकेट दिया है, तब से हमारे फुरकान भाई फूले नहीं समा रहे. उनकी छाती पता नहीं कितने गज की हो गयी है. वह तन गये हैं. समाज सेवा के लिए गांव और समाज के साथ-साथ पता नहीं कितनी बार उनको जिले में  मंच पर सम्मानित किया जा चुका है. लेकिन जब से प्रधानमंत्री की मुसलमानों के बारे में टिप्पणी सार्वजनिक हुई है तब से वह खुद को ज्यादा सम्मानित महसूस करने

बिनु हरि कृपा मिलहु नहीं पंथा

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची बिनु हरि कृपा किसी का भला नहीं हो सकता. गोस्वामी तुलसीदास जी का यह फार्मुला आधुनिक नेताओं के लिए लाइफलाइन साबित हो रही है. जीतेजी गुमनामी का नरक भोगने से तो बेहतर है कि  हरि भजन में मगन होकर मलाई काटें. किसी को दुखी किये बिना सुखी होने का फार्मुला बड़ा सहज है. गोस्वामी तुलसीदास जी का अनुसरण करिये. हरि गुन गाइये. जमीनें कब्जानी हैं, आलीशान घर बनाने हैं, बडी गाड़ियां खरीदनी हैं, कुछ स्विस बैंक में भी जमा करना है, राजनीति की वैतरणी पार करनी है तो अब एकमात्र हरि हैं, जिनको भजने से बेड़ा पार हो सकता है. अब तो जिसे देखिये वही हरि शरण का मोहताज दिखने लगा है. यह अनायास ही नहीं है. कई लौह पुरुषों का हश्र देख कर तो ऐसा करना लाजिमी (मजबूरी) भी है. कभी भारी-भरकम, तेज-तर्रार और पता नहीं क्या-क्या, किन-किन विशेषणों से अतिशोभित लौह पुरुषों को निर्वासित कोपभवन का (गैर) महिमामंडित सदस्य बनना पड़ा है. इनकी हालत देखकर सबका पौरुष धरा का धरा रह गया है. धर्म प्रधान हमारे इस देश में जो हरि के गुन गाता है, उसका कल्याण खुदा भी नहीं रोक पाते. हरि कृपा से उस पर तीनो लोक के वैभ

कभी आर कभी पार इस बार आर-पार!

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची आजकल जिसे देखो आर-पार के मूड में दिख रहा है. इतिहास की वीरगाथाओं व अतीत के युद्ध परिणामों की दुहाई देते हम नहीं थकते. पाक को 1971 और कारगिल का हस्र याद दिलाते हुए हमारी छाती चौड़ी हो जाती है. हमारे अति देशभक्त नेता तो हर समय आर-पार की लड़ाई के मूड में दिखते हैं. आखिर इसी के सहारे ये जनता को रोटी-दाल, आलू-प्याज, भूख-बेरोजगारी और अपनी नाकारियों से विमुख करने में कामयाब होते रहते हैं. हमारे देश ही नहीं बल्कि पाक मीडिया में भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं. आज सुबह ही पी-टीवी में भी सुना. सीमा पार से गोलीबारी में चार अपराध हलाक हो गये. वहां के अस्थिर राजनीतिक हालात से जनता का ध्यान हटाने का इससे बेहतर तरीका भला क्या हो सकता है. अपने देश में तो स्थिर और मजबूत सरकार है. इसकी मजबूती की अलग परिभाषा तय करनेवाली शिवसेना के मुखपत्र में तो यहां तक कहा गया है कि अब भारत को  पाक में घुसकर हमला करने की जरूरत है. केंद्र में अब कांग्रेस की तरह कमजोर सरकार नहीं, बल्कि मजबूत सरकार है. उसे तुरंत पाक को सबक सिखाने के लिए हमला करना चाहिए. इसी तरह के मनोभाव से लैस जनता को युद्