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Showing posts from August, 2009
गांधी जी के नक्शेकदम पर चले नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की घृणित प्रथा के खात्मे के लिये चले निर्णायक आंदोलन के अगुवा नेल्सन मंडेला के जीवन में महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस के रूप में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े अलग-अलग विचारधाराओं वाले दो पुरोधाओं की सोच का अनोखा संगम देखा जा सकता है। मंडेला ने महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए जहां सरकार के विरुद्ध अवज्ञा आंदोलन शुरू किया वहीं भेदभाव की नीति से मुक्ति के लिये बोस की तरह सरकार के खिलाफ युद्ध का सहारा भी लिया था। वह अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) की सशस्त्र इकाई ‘उमखोंतो वे सिजवे' के प्रमुख रहे और उन्हें देशद्रोह तथा अन्य आरोपों में करीब 17 साल जेल में गुजारने पड़े यह सम्भवत: गांधी जी की नीतियों का ही असर था कि मंडेला देश में रंगभेद की नीति के विरोध में खड़े हुए नई पीढ़ी के कार्यकताओं को एकजुट कर सके। महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन के रूप में की गई शुरुआत के वर्ष 1947 में भारत की आजादी के रूप में मंजिल तक पहुंचने से दक्षिण अफ्रीका में वांछित परिवर्तन की उम्मीद पैदा हुई। मंडेला को

राजीव गांधी: एक युगद्रष्टा

आने वाले युग का पूर्वानुमान लगाना और उसके मुताबिक पग-पग आगे बढ़ना एक युगदृष्टा यही करता है। राजीव गांधी भी एक युगदृष्टा थे। उन्होंने अर्थव्यवस्था को जंग खाए संरक्षण की बेड़ियों से स्वतंत्र कराने और कंप्यूटर के जरिए करवट लेते संसार को साधने का सपना देखा था। अब तक के इस सबसे युवा प्रधानमंत्री को अपनों की सदइच्छा और गैरों की उपेक्षा मिली पर आज उन्हीं सपनों के पंख लगाकर भारत कंप्यूटर विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में सम्भावित पहचान बना चुका है। भले ही राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर में आतंकवाद के शिकार हो गए लेकिन उनके सपनों को सच करने में उनकी पत्नी सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी शिद्दत से लगे रहे। आज देश एक ओर जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 18वीं पुण्यतिथि मना रहा है वहीं 18 साल से जनाधार के मामले में हिचकोले खा रही कांग्रेस इस बार फिर चुनावी धरातल पर काफी मजबूत बनकर उभरी है। राजीव गांधी और कांग्रेस को लेकर 18 का अंक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि गत 18 मई को वह शख्स भी मारा गया जिसने भारत को आर्थिक तरक्की की राह दिखाने वाले इस युवा प्रधानमंत्री की हत्या कराई थी। इसे संयोग कहें या कुछ और कि मई क

'वज्रपात'

इंदिरा गाँधी ( 1 नवंबर 1984 को लिखे गए नईदुनिया के सम्पादकीय 'वज्रपात' से) जन्म : 19 नवम्बर, 1917…. मृत्यु : 31 अक्टूबर, 1984…. 'भारत रत्न' (1972), राष्ट्र की पहली महिला प्रधानमंत्री और नागपुर कांग्रेस अधिवेशन (1959) में अध्यक्ष चुनी गईं इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी का जन्म आनंद भवन, इलाहाबाद में हुआ। कांग्रेस के सौ वर्ष के इतिहास के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वाली इंदिराजी चौथी महिला थीं। उनके पूर्व ऐनी बेसेंट (1917), सरोजिनी नायडू (1925) और नेली सेनगुप्त (1933) इस पद को सुशोभित कर चुकी थीं। वे 1978 व 83 में कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। पिता जवाहरलालजी के सान्निध्य में इंदिरा गांधी को व्यावहारिक राजनीतिक दीक्षा स्वाभाविक रूप से प्राप्त हुई। शांति निकेतन और ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई कर 1931 से वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुईं। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान बारह वर्षीय इंदिराजी ने वानर सेना का गठन किया। 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में पति फिरोज गांधी के साथ 13 माह तक वे नैनी जेल में रहीं। आजादी के बाद के साम्प्रदायिक दंगों में गांधीजी के निर्देशन में शांति स्थ

रोबोट ………

रोबोट ……… एक दिन राजू के पापा एक रोबोट ले कर आये…………..वह रोबोट झूठ पकड़ सकता था और झूठ बोलने वाले को गाल पर खीँच कर चांटा मार देता था……………..आज राजू स्कूल से घर देर से आया था............. पापा ने पूछा "घर लौटने में देर क्यो हो गयी?"…………"आज हमारी एक्स्ट्रा क्लासेस थी" राजू ने जवाब दिया...रोबोट अचानक अपनी जगह से उछला और जमकर राजू के गाल पर चांटा मार दिया…………पापा हंसकर बोले, "ये रोबोट हर झूठ को पकड़ सकता है और झूठ बोलने वाले को चांटा भी मारता है. अब सच क्या है यह बताओ... कहाँ गए थे?"…………"में फिल्म देखने गया था" राजू बोला……….."कौन सी फिल्म?" पापा ने कड़ककर पूछा……………"हनुमान"………..चटाक... अभी राजू की बात पूरी भी नहीं हुई थी की उसके गाल पर रोबोट ने एक जोर का चांटा मारा…………"कौन सी फिल्म?" पापा ने फिर पूछा……….."कातिल जवानी."……….पापा ग़ुस्से में बोले "शर्म आनी चाहिए तुम्हे. जब में तुम्हारे जितना था तब ऐसी हरकत नहीं किया करता था."……..चटाक... रोबोट ने एक चांटा मारा... इस बार पापा के गाल पर……….यह सुनते ही मम्मी

लगे रहो चमन भाई

लगे रहो चमन भाई चमन भाई को पता चला की उसके एकाउंटेंट ने उसे ५० करोड़ का चुना लगाया है……एकाउंटेंट गूंगा और बहरा था. उसे नौकरी पर इसलिये लगाया था की बहरा होने के कारण कभी कोई राज़ की बात सुन नहीं सकेगा, और गूंगा होने के कारण कभी कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही नहीं दे सकेगा……चमन भाई को गूंगे-बहारो के इशारो की समझ नहीं थी इसलिये पूछताछ के लिए अपने दाहिने हाथ "सटकेला" को ले गया जिसे इशारो की समझ थी……चमन भाई ने एकाउंटेंट से पूछा "बता तुने जो मेरे ५० करोड़ उडाये है वो कहाँ छुपा रखे है?"सटकेला ने इशारो में एकाउंटेंट से पुछा उसने पैसे कहाँ छुपाये…..एकाउंटेंट ने इशारे में कहाँ : "मैं कुछ नहीं जानता तुम किं पैसो की बात कर रहे हो"सटकेला ने चमन भाई से कहा: "भाई बोल रहा वो कुछ नहीं जानता हम किं पैसो की बात कर रहे है."चमन भाई को गुस्सा आ गया और पिस्तौल एकाउंटेंट की कनपट्टी पर रखकर बोला "अब फिर पूछ!"सटकेला ने इशारों में एकाउंटेंट को कहा: "तुने अगर नहीं बताया और भाई ने घोडा दबा दिया तो समझ ले तेरी वाट लग जायेगी!"एकाउंटेंट ने डरकर इशारे किये: &quo

कुछ चुटकुले

चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं... एक एरिया में भाई रहता है, चमन भाई॥ अब उसके एरिया में जो भी लफ़ड़ा होता है तो पुलिस से पहले चमन भाई की अदालत में जाता है। एक बार चमन भाई के एरिया में रेप हो जाता है और जिस ने काम बजाया होता है उसको पकड़ के चमन भाई के पास लेके जाते है। चमन भाई पहले तो बहुत शान्ति से स्टाईल में उससे बात करते है वो कुछ इस तरह से है। चमन: क्या रे तेरे को मालूम नहीं ये अपुन का एरिया है?? मुजरीम: हाँ मालूम है ना भाई। चमन: फ़िर कैसे हिम्मत किया रेप की मेरे एरिया मे? मुजरीम: अब क्या बोलु भाई किस्मत खराब थी। चमन: चल मेरे को सब सच सच बता क्या और कैसे हुआ मुजारीम: अभी क्या ना इधर नाके पे अपुन पान खाने के लिये आया चामन: फ़िर॥ मुर्जिम: अपुन खड़े होके पान खारेला था और उतने में सामने वाली बिल्डींग पे अपुन की नज़र गई। चमन: आगे बोल, मुजरीम: उधर तीसरी माले पे एक चिकनी खड़ी हुए थी, चमन: फ़िर क्या हुआ, मुजरीम: अपुन को ऐसा लगा के उसने इशारा किया आने के लिए, चमन: फ़िर तुने क्या किया, मुजरीम: अपुन सोचा के कुछ काम होएंगा उसको। अपुन बिल्डींग के नीचे गया, चमन: फिर,: मुजरीम, उसने इशारे से अपुन को उपर बोलाय