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क्या खूब उल्लू बनाते हैं जनाब!

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची किसान का दर्द कौन नहीं जानता, अर्थात् सभी जानते हैं. या यूं कहिए कि जानने का दावा करते हैं. आखिर क्यूं न करें? दावा करने में कुछ लगता जो नहीं. कभी विदेश से काला धन वापस ला कर हर व्यक्ति को 15-20 लाख रुपये देने का दावा भी तो यूं ही किया गया था. आज भी 56 इंच के सीनेवाले के उस ओजस्वी भाषण की याद आती है, तो कानों में मिसरी सी घुलने लगती है. अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने कहा था कि जिस दिन भारतीय जनता पार्टी को मौका मिलेगा, हिंदुस्तान की एक-एक प ाई वापस लायी जायेगी और देश के गरीबों के कल्याण के काम में लगायी जायेगी. उस समय किसी ने काला धन कितना है, कैसे लायेंगे, यह सवाल नहीं किया था. जादुई चुनावी अभियान में सारे तथ्य बेमानी हो गये थे. दावे पर भरोसा करके लोगों ने जी खोल कर भाजपा को वादा निभाने का मौका दिया, लेकिन मोदी जी ने अपने ‘मन की बात’ में गरीबों की आशाओं पर पानी फेर दिया. कहा कि काला धन कितना है, उनको नहीं पता. पिछली सरकार को भी नहीं पता था. यदि ऐसी ही बात थी तो बड़े-बड़े दावे क्यों किये? खैर मोदीजी न सही, पर उनके सिपहसालार अमित शाह ने मा