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Showing posts from August, 2016

नाम की महिमा निराली

Lokenath Tiwary लोकनाथ तिवारी बचपन में एक कहावत सुनी थी अंधे का नाम नयन सुख यानि ग्ाुण के विपरीत नाम होना। बचपन में ऐसे नामों को हंसी का पात्र माना जाता था। हमारे यहां तो नाम बिग़ाडने की भी परंपरा थी। अगर किसी अनपढ़ गंवार पगलेट का नाम सुखराम होता था तो उस गांव जवार के लोग अपने बच्चों का नाम सुखराम रखने से बचते थे। हमारे यहां नाम रखने का दौर भी चलता था। सुनील गावसकर के जमाने में सुनील और राजेश खन्ना के जमाने में राजेश नाम के दर्जनों बच्चे एक ही गांव में पाये जाने लगे। अब कहियेगा कि आज नाम को लेकर चर्चा की क्या सूझी। हमारी मुख्यमंत्री राज्य का नाम परिवर्तन करनेवाली हैं। पश्‍चिम बंगाल का नाम बदलकर बंगला या बंगो किया जा सकता है। वहीं पश्‍चिम बंगाल को अंग्रेजी में बंगाल के नाम से जाना जायेगा। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि नाम बदलने से हमारा राज्य आगे आ जायेगा। हाल के सालों में देश के कई शहरों का नाम बदला गया था। हरियाणा में गुड़गांव का नाम बदलकर गुरूग्राम कर दिया गया था। इससे पहले कई राज्यों का भी नाम बदला गया। इनमें हैदराबाद शामिल है जिसका नाम बदलकर आंध्र प्रदेश कर दिया गया था। वहीं मद्र

कर्जखोरों की महिमा के आगे नतमस्तक जनता

लोकनाथ तिवारी (Lokenath Tiwary) हमारे दादा जी कहा करते थे कर्ज लेकर घी पीने से बेहतर है खाली पेट ग्ाुजर बसर करना। दादा जी की बचपन में दी गयी यह सीख आज भी गांठ बांध कर बैठा हूं, या यूं कहिए कि ग्ाुजर बसर ही कर रहा हूं। वर्तमान में कर्ज लेकर चांदी काटनेवाले लोगों की महिमा देखकर लगता है कि दादा जी की सीख पर अमल कर मैं अपना और अपने परिजनों का भ्ाूत, वर्तमान और भविष्य बिगाड़ रहा हूं। वर्तमान हालत देखकर दादा जी की कही बात के विपरीत कर्जखोर शान से मालामाल जीवन जी रहे हैं। पूछियेगा कि आज सुबह-सुबह दादा जी की सीख का रोना क्यों रो रहा हूं तो इसके पीछे की बात भी सुन ही लीजिए। हाल ही में ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयी एसोसिएशन (एआईबीईए) ने बैंकों से कर्ज लेकर साफ हजम कर जाने वाले 5610 कथित उद्यमियों की जो लिस्ट जारी की है। लोगबाग विजय माल्या को तो पानी पी पीकर कोसते हैं, जोे करीब नौ हजार करोड़ रुपया लेकर विदेश में जा बैठे, लेकिन इस लिस्ट पर नजर डालेंगे तो समझ में आ जायेगा कि उनके जैसे बहुतेरे लोग आज भी हमारे देश में बिंदास घूम रहे हैं। इस लिस्ट से पता चलता है कि भारत में कर्जखोरी बड़े लोगों का शगल बन गया