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Showing posts from August, 2014

हम उल्लू नहीं बनेंगे लेकिन कब तक

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची lokenathtiwary@gmail.com बचपन में लगता था कि केवल हमारे गांव में ही ऐसा होता है. उमर बढ़ी और कूप मंडूक से ग्लोबल मानुष की कैटेगरी में आ खड़े हुए तो पता चला कि इस छोटे से फामरूले पर राजनीति की दुकानदारी फल-फूल रही है. गांव की चौपाल से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव तक यह फामरूला फारमुला कारगर रहता आया है. बस किस नाम पर किसके खिलाफ गोलबंदी होनी है यह स्थान, काल पात्र के आधार पर तय होता रहा है. बिहार उपचुनाव में लालू-नीतीश की गलबहिया देख हमारे टीन एजर बबुआ व उसके नव युवा वोटर बने दोस्त की आंखें आश्चर्य से फटी रह गयी. जब नतीजा आया तो इनका आक्रोश देखने लायक था. भुनभुनाते हुए जब इनकी टोली काका के सामने से गुजरी तो काका ने जबरन आशीर्वाद देते हुए उनके मुंह फुलाने का कारण पूछा. पहले से ही भरे पड़े नेट-चैट युगीन बच्चे काका के सामने फ ट पड़े. कहा,जबतक अनैतिक गंठबंधन की राजनीति रहेगी, तबतक देश का भला नहीं हो सकता. भाजपा को हराने के लिए बिहार में गोलबंदी की गयी. यह गलत है. काका ने बच्चों को पुचकारते हुए कहा, यह गोलबंदी कोई नयी बात नहीं. घर से लेकर जवार और देश

बीवियोंवाला नुस्खा सफलता की गारंटी

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची जासूसी के जरिये सफल होने का गुर पत्नियों को बखूबी आता है. करनी ना धरनी घर-परिवार की सत्ता पर काबिज होनेवाली पत्नियां अपने शौहर को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को अपनी अंगुलियों पर नचाती है. अजी नचाती क्या? गवाती, हंसाती और खूब रुलाती भी हैं. आखिर मियां की नब्ज पर उनकी पकड़ जो कसी होती है. पति व सास, ससुर का सीक्रेट हथिया कर पूरे परिवार की नकेल अपने हाथों में लेने का हुनर कोई इन पत्नियों से सीख सकता है. लगता है हमारी नयी सरकार ने भी इसे सीख ही नहीं लिया बल्कि उस पर अमल भी करने लगी है. अखबार में पढ़ा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं की जासूसी करायी जा रही है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के घर जासूसी उपकरण मिलने के बाद अभी बात ठीक से दबी भी नहीं थी कि और कई शीर्ष नेताओं  की जासूसी का मामला सामने आ गया है. इससे तो यहीं लगता है कि सफलता के गुर का कनेक्शन कहीं न कहीं बीवियों के नुस्खे से जुड़ा है. कहा भी गया है कि जासूसी वहीं कराते हैं, जो आपके अपने, खास व नजदीकी हों. कहीं नयी सरकार भी तो अपनों की नब्ज टटोलने में नहीं न जुटी है.