गांधी गाथा

गांधी एक ऐसा नाम जो पूरे विश्व में एक नई क्रांति का प्रतीक बन गया, लेकिन अब इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए बम्बइया भाई ने मुन्ना बन कर जिम्मेदारी उठाई। यह एक सराहनीय प्रयास है। आखिर फिल्मकार व इसके पटकथा लेखक भी बुद्धिजीवी हैं।

फिल्म में गांधीगिरी करते मुन्ना व सर्किट हमारा मनोरंजन भरपूर करते हैं, जाने-अनजाने में हमें उस लाठीधारी लंगोटीवाले के बारे में भी बताने से नहीं चूकते।

आज की पीढ़ी इस तरफ शायद ही सोचती होगी कि गांधी विलायती बाबू भी थे। विदेशों में उनका पोशाक अंग्रेजों की तरह हुआ करता था। उस युग में भी वे अपनी बातों को जोरदार तरीके से पहुंचा पाते थे। उस समय लाखों लोगों को एक सूत्र में पिरोने की ताकत (कला) उनमें थी।

आधुनिक युग में कुछ नेता (स्वयंभू) उन पर तरह-तरह का लांछन लगाने से भी नहीं चूकते। कुछ उन्हें पाक समर्थक भी कहते दिखते हैं, लेकिन राम कृष्ण के इस देश में तो लोगों ने अपने भगवान को भी नहीं बख्शा, फिर आधुनिक युग के इस प्रणेता को कैसे छोड़ दें। गांधी के बारे में जितना कहा जाए वह कम है।

नाम की महत्ता तो हमारे पुराणों में भी वर्णित है। राम, कृष्ण की रट लगाते हम थकते नहीं। इससे हमें आत्मबल मिलता है। गांधी का नाम भी हमें गौरवान्वित करता है। हमें बल देता है। गांधी नाम के प्रति अभी भी हमारा देश अपनी कृतज्ञता ज्ञापन करता है।

गांधी गाथा जारी रहेगी .. .. .. .. .. .. ..

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गांधीवादी

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