लोकसभा चुनाव में असर दिखायेगा एनआरसी का चुनावी गणित

असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन (एनआरसी) का मुद्दा अभी चर्चा में है. इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सबसे अधिक मुखर हैं. बीजेपी भी इस मुद्दे पर आक्रामक है. लोकसभा चुनाव 2019 के पहले इस मुद्दे को हवा देने के पीछे राजनीतिक कारण है. जानकारों के अनुसार एनआरसी का असर पश्चिम बंगाल के कम से कम 17 लेकसभा सीटों पर पड़ेगा. इसके अलावा असम, बिहार और नॉर्थ ईस्ट में भी इसका असर दिखायी देगा. चार राज्यों की जिन मुस्लिम बहुल 40 सीटों पर एनआरसी का बड़ा असर पड़ सकता है उनमें से महज 8 बीजेपी के पास हैं. इनमें से बंगाल में उसके पास 17 में से एक भी सीट नहीं है.
पश्चिम बंगाल की 17 सीटों मुर्शिदाबाद, रायगंज, बहरमपुर, बशीरहाट, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, डायमंड हार्बर, जयनगर, बीरभूम, कृष्णानगर, बोलपुर, जंगीपुर, कूच बिहार, उलूबेड़िया, मथुरापुर, जादवपुर, बर्धमान में मुस्लिम आबादी प्रभावी है. बीजेपी के पास इनमें से एक भी सीट नहीं है. इसके अलावा असम, पश्चिम बंगाल, बिहार व पूर्वोत्तर की 78 लोकसभा सीटों पर एनआरसी का मुद्दा बड़ा असर डालेगा. असम की छह लोकसभा सीटों के अलावा जम्मू कश्मीर में भी मुस्लिम आबादी प्रभावी है. मिली जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 68.3%, असम में 34.2%, बंगाल में 27% और बिहार में 16.9% मुस्लिम आबादी है. बीजेपी ने एनआरसी को धर्म से नहीं जोड़कर राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है, ताकि सांप्रदायिक तौर पर ध्रुवीकरण का आरोप न लगे.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और टीएमसी के स्पष्टीकरण मांगा है वे बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ हैं या विरोध में. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वोत्तर के प्रभारी राम माधव कहते हैं, 'बीजेपी के लिए यह राजनीतिक मामला नहीं है. पार्टी ने 1980 से अब तक हर राजनीतिक प्रस्ताव में बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालने की बात की है और अब सत्ता में आने के बाद उसे पूरा करके दिखा दिया है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरा मामला चल रहा है और आगे का कदम भी उसी के निर्देश पर उठाया जाएगा.  दरअसल बीजेपी ने घुसपैठ के मुद्दे को स्थानीय रोजगार, शिक्षा और अन्य मूलभूत सुविधाओं से जोड़ दिया है. वहीं ममता बनर्जी इसे नागरिकों के मानवीय अधिकारों से जोड़ दिया है. उनका कहना है कि जिन लोगों को जन्म यहां हुआ. जिनके माता-पिता यहीं के होकर रह गये, लेकिन उनके पास दस्तावेज नहीं है, उनको अचानक देश निकाला किया जाना सहन नहीं किया जा सकता.
सूत्रों के मुताबिक, एनआरसी से बाहर छूटे 40 लाख लोगों में 27 लाख मुस्लिम और 13 लाख हिंदू हैं. लेकिन अंतिम सूची में 10 लाख का आंकड़ा और एनआरसी में जुड़ सकता है. अगर बाकी 30 लाख लोग एनआरसी से बाहर रहते हैं और विदेशी घोषित होते हैं तो भी उनके पास विदेशी ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार होगा. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का कहना है कि बीजेपी सरकार ने गड़बड़ की है. देश के लोगों को भी लिस्ट में शामिल कर दिया. जानकारों का मानना है कि राजनीतिक तौर से यह मसला एक खास समुदाय को बड़ा संदेश देने की कोशिश है कि 50-60 साल में जो नहीं हो पाया, वह हमने कर दिखाया.
असम में एनआरसी के जरिए बीजेपी एक कड़ा संदेश दे रही है कि वह समुदाय विशेष के लिए खड़ी है. जहां तक वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश है तो असम में एनआरसी से उस माइंडसेट को थोड़ा और बढ़ावा मिलेगा. उधर, चुनाव आयोग से संकेत मिले हैं कि एनआरसी में जो लोग बाहर रहे हैं, उन्हें वोटर लिस्ट से बाहर नहीं किया जाएगा. हलांकि एनआरसी से जुड़े एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि अभी अगला रोडमैप तय नहीं है. फाइनल रजिस्टर सामने आने के बाद जो लोग अवैध नागरिक माने जाएंगे उनके बारे में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सरकार कोई निर्णय लेगी. यह तय है कि इन लोगों को 'डाउटफुल वोटर' की सूची में तो नहीं रखा जाएगा. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 55 लाख वोट मिले थे, जो कुल मतदान का करीब 37% था. बीजेपी को 7 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को करीब 30% वोटों के साथ 44 लाख से अधिक वोट मिले और उसे 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था. असम की तीसरी सबसे बड़ी प्लेयर बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को 22 लाख से अधिक वोट मिले थे जो कुल पोलिंग का 15% थे. यह जाहिर है कि एआईयूडीएफ पर सबसे ज्यादा चोट पड़ेगी जिसके प्रति मुस्लिम मतदाताओं की सहानुभूति रही है.
किस सीट पर कितनी प्रतिशत मुस्लिम आबादी 
जम्मू कश्मीर-6 सीटें: बारामूला-97%, अनंतनाग-95.5%, श्रीनगर-90%, लद्दाख-46%, ऊधमपुर-31%, जम्मू-28%. इनमें से बीजेपी के पास तीन सीटें हैं.
प. बंगाल-17 सीटें: मुर्शिदाबाद-59%, रायगंज-56%, बेरहमपुर-44%, बशीरहाट- 44%, मालदा उत्तर-41%, मालदा दक्षिण-41%, डायमंड हार्बर-33%, जयनगर-30%, बीरभूम-36%, कृष्णानगर-33%, बोलपुर-25%, जंगीपुर-60%, कूच बिहार-23%, उलूबेरिया-22%, मथुरापुर-21%, जादवपुर-20%, बर्धवान-20%. बीजेपी के पास इनमें से कोई सीट नहीं.
असम-8 सीटें: धुबरी-56%, करीमगंज-45%, बरपेटा-39%, नौगांव-33%, सिलचर-30%, कलियाबोर-30%, गुवाहाटी-25%, मंगलदोई-24%. बीजेपी के पास 3 सीटें. बाकी बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌व कांग्रेस की.
बिहार-9 सीटें: किशनगंज-67%, पूर्णिया-30%, अररिया-29%, कटिहार-38%, मधुबनी-24%, दरभंगा-22%, सीतामढ़ी-21%, पश्चिमी चंपारण-21%, पूर्वी चंपारण-20%. मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी व चंपारण की दोनों सीटें बीजेपी के पास हैं.

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