आजादी के जश्न से बापू क्यों रहे दूर

लोकनाथ तिवारी

15 अगस्त 1947 में इसी दिन भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी. अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहम भूमिका रही थी. लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि जब भारत को आजादी मिली थी तो महात्मा गांधी इस जश्न में नहीं थे. तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखाली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे. 

आजादी की निश्चित तिथि से दो सप्ताह पहले ही गांधीजी ने दिल्ली को छोड़ दिया था. उन्होंने चार दिन कश्मीर में बिताए और उसके बाद ट्रेन से वह कोलकाता की ओर रवाना हो गए, जहां साल भर से चला रहा दंगा खत्म नहीं हुआ था.

15 अगस्त 1947, को जब भारत को आजादी मिली थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हो सके थे, क्योंकि तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे. गांधीजी ने 15 अगस्त 1947 का दिन 24 घंटे का उपवास करके मनाया था. उस वक्त देश को आजादी तो मिली थी लेकिन इसके साथ ही मुल्क का बंटवारी भी हो गया था. पिछले कुछ महीनों से देश में लगातार हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे. इस अशांत माहौल से गांधीजी काफी दुखी थे.


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