राजीव गांधी: एक युगद्रष्टा

आने वाले युग का पूर्वानुमान लगाना और उसके मुताबिक पग-पग आगे बढ़ना एक युगदृष्टा यही करता है। राजीव गांधी भी एक युगदृष्टा थे। उन्होंने अर्थव्यवस्था को जंग खाए संरक्षण की बेड़ियों से स्वतंत्र कराने और कंप्यूटर के जरिए करवट लेते संसार को साधने का सपना देखा था।
अब तक के इस सबसे युवा प्रधानमंत्री को अपनों की सदइच्छा और गैरों की उपेक्षा मिली पर आज उन्हीं सपनों के पंख लगाकर भारत कंप्यूटर विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में सम्भावित पहचान बना चुका है।
भले ही राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर में आतंकवाद के शिकार हो गए लेकिन उनके सपनों को सच करने में उनकी पत्नी सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी शिद्दत से लगे रहे। आज देश एक ओर जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 18वीं पुण्यतिथि मना रहा है वहीं 18 साल से जनाधार के मामले में हिचकोले खा रही कांग्रेस इस बार फिर चुनावी धरातल पर काफी मजबूत बनकर उभरी है।
राजीव गांधी और कांग्रेस को लेकर 18 का अंक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि गत 18 मई को वह शख्स भी मारा गया जिसने भारत को आर्थिक तरक्की की राह दिखाने वाले इस युवा प्रधानमंत्री की हत्या कराई थी।
इसे संयोग कहें या कुछ और कि मई के महीने में ही राजीव गांधी की हत्या हुई और मई के महीने में ही उनकी हत्या कराने वाला लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन मारा गया। राजीव गांधी जहां 1991 में 21 मई को भारत के तमिल प्रदेश में शहीद हुए वहीं उनकी जान लेने का षड्यंत्र रचने वाला प्रभाकरन उनकी 18वीं पुण्यतिथि से तीन दिन पहले 18 मई को श्रीलंका के तमिल क्षेत्र में मारा गया।
अट्ठारह साल पहले गम देने वाला मई का महीना इस बार कांग्रेस के लिए दोहरी खुशियां लेकर आया है। एक ओर जहां आम चुनावों में उसके नेतृत्व वाले संप्रग गठबंधन को जबर्दस्त जीत मिली वहीं राजीव गांधी के हत्यारे का मारा जाना देशवासियों के साथ ही कांग्रेस के लिए भी राहत का सबब बना। राहुल गांधी का अपने पिता की तरह ही करिश्माई व्यक्तित्व वाले नेता के रूप में उभरना भी इस महीने की एक और खासियत रही। बीस अगस्त 1944 को जन्मे राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में पायलट थे। अपने भाई संजय गांधी की मौत के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और 1981 में वह उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए।
31 अक्तूबर 1984 को सिख अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश की कमान उनके बेटे राजीव गांधी के हाथों में आ गई और इस पद पर वह दो दिसंबर 1989 तक रहे।
राजीव गांधी की छवि एक ईमानदार नेता की थी लेकिन 1987 के मध्य में सामने आए बोफोर्स कांड ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। राजीव गांधी के कार्यकाल में श्रीलंका में तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे ने खूनखराबा मचा रखा था। लिट्टे को खत्म करने के लिए राजीव ने श्रीलंका में भारतीय शांति सेना भेज दी जिससे लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन खार खा गया। शांति सेना भेजे जाने से खफा प्रभाकरन ने राजीव गांधी की हत्या की योजना बनाई जिसे उसकी महिला आत्मघाती हमलावर धनु ने अंजाम दिया।
राजीव गांधी 21 मई 1991 को एक कांग्रेस प्रत्याशी के हक में प्रचार करने के लिए तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में थे जहां लिट्टे की महिला आत्मघाती हमलावर धनु अपने शरीर से 700 ग्राम आरडीएक्स बांधकर भीड़ में राजीव गांधी के पास जा पहुंची और उनके पैर छूने के बहाने झुककर शरीर पर बंधे विस्फोटक को उड़ा दिया।
राजीव गांधी के एकाएक चले जाने से देश में शोक की लहर दौड़ गई और लिट्टे के प्रति लोगों के मन में रोष उत्पन्न हो गया।
राजीव गांधी की हत्या के साथ ही लिट्टे के पतन की शुरुआत हो गई थी। श्रीलंका भेजी गई भारतीय शांति सेना में शामिल रहे कर्नल आरके चौधरी का कहना है कि विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने शांति सेना को वापस बुला लिया था नहीं तो भारत के सैनिक लिट्टे को कुचलकर ही देश लौटते। इस अभियान में भारत के 1100 सैनिक शहीद हो गए और दो हजार करोड़ रुपया खर्च हुआ। चौधरी का कहना है कि राजीव गांधी की हत्या के चलते लिट्टे के प्रति सहानुभूति रखने वालों के दिलों में भी उसके लिए जगह नहीं रही और बाद में लिट्टे के प्रवक्ता ने इस कृत्य को संगठन की एक गलती माना।
इस हत्याकांड में वांछित लोगों की भारत की सूची में प्रभाकरन का नाम शीर्ष पर था उसे पकड़ने की लाख कोशिशों के बावजूद वह काबू नहीं आया।
इस घटना के 18 साल बाद 18 मई को ऐसा मौका आया जब प्रभाकरन श्रीलंकाई सेना के हाथों मारा गया और समूचे लिट्टे का खात्मा हो गया। आत्मघाती हमलों तथा साइनाइड खाकर जान देने के लिए कुख्यात रहे लिट्टे के लड़ाके अंतिम समय में बेहद कमजोर पड़ गए।
लिट्टे के खात्मे से देश की जनता और कांग्रेस को भले ही राहत मिली हो लेकिन उसके हाथों मारे गए देश के एक युवा नेता की हत्या का दर्द आने वाली कई पीढ़ियों को सालता रहेगा। राजीव के पुत्र के रूप में राहुल ने देश की युवाशक्ति के साथ देश को संवारने का बीड़ा उठाया और अपने पिता के सपनों को नये पंख और नयी परवाज दी।

Comments

बहुत सुंदर सारगर्भित लेख है
मैं आपसे सहमत हूँ
तेज धूप का सफ़र
Unknown said…
Bahut Barhia...Isi Tarah likhte rahiye...

http://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap... Maithili Me

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Manpasand Gaane

http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
Lokenath Tiwary said…
बिपिन जी, हितेन्द्र जी, गार्गी व अमित जी को धन्यवाद......

आप लोगों का ब्लाग प्रशंसनीय व अनुकरणीय है...
सराहनीय प्रयास जारी रखें .....

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