बाहुबली बीजेपी, खंड-खंड विपक्ष

Lokenath Tiwary (लोकनाथ तिवारी)
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के सदमे से विपक्षी पार्टियां खंड खंड हो रही हैं. विपक्षी गठबंधन टूट रहा है. पार्टियों में अंदरूनी मतभेद और इस्तीफों का दौर भी देखने को मिल रहा है. चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही विपक्षी खेमे में उथल-पुथल मची हुई है. कांग्रेस में जहां आपस में ही आरोप-प्रत्यारोप जारी है वहीं अन्य पार्टियां अलग-अलग राह पकड़ रही हैं.

कांग्रेस में सबसे ज्यादा विवाद राजस्थान इकाई में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने अपने बेटे की हार के लिए उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को जिम्मेवार ठहराया है, जबकि पायलट समर्थक राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए गहलौत को जवाबदेह ठहराते हुए उन्हें पद से हटाकर पायलट को सीएम बनाने की मांग करने लगे हैं.

गुजरात में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीजेपी खेमे में जाने की अटकलों के बीच ऐसा ही हाल गुजरात कांग्रेस में भी नजर आ रहा है. हरियाणा में हाल में प्रदेश समन्वय समिति की बैठक के दौरान नेताओं ने एक दूसरे पर उंगलियां उठायीं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अपना खाता खोलने में नाकाम रही और मध्य प्रदेश में सिर्फ एक सीट जीत पायी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के विधायक पद से इस्तीफे के बाद से महाराष्ट्र कांग्रेस के अंदर भी अनबन की खबरें आ रही हैं. ऐसी अटकलें हैं कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.

यूपी में महागठबंधन का टूटना अभी विपक्षी खेमे की सबसे बड़ी खबर है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने राज्य में 11 विधानसभा सीटों का उपचुनाव अकेले लड़ने की बात कही है. चुनाव में महागठबंधन के खराब प्रदर्शन के लिए समाजवादी पार्टी (एसपी) को जिम्मेवार मानते हुए उन्होंने कहा कि यह पार्टी अपने यादव वोट को एकजुट नहीं रख पाई और उसे बीएसपी को ट्रांसफर भी नहीं कर पाई. इसलिए अब वे एसपी से अलग रहकर चुनाव लड़ेंगी.

महागठबंधन के तीसरे साझीदार राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने भी उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर दी, पर उसने यह विश्वास भी जताया कि महागठबंधन बना रहेगा. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन टूटने के सवाल पर कहा कि ‘इंजीनियर हूं, एक प्रयोग किया था, जरूरी नहीं कि हमेशा सफल रहूं.’ उन्होंने कहा कि जब आप कुछ नया करते हैं तो भले ही सफलता न मिले, लेकिन काफी कुछ सीखने को मिलता है. जो पहले दिन कहा था कि हमारा उनके प्रति सम्मान हमेशा रहेगा, वह आज भी कहता हूं. काम करने के तरीके बदल सकते हैं लेकिन उससे सम्मान में कोई कमी नहीं होगी. समाजवादी पार्टी और हमारा बसपा प्रमुख मायावती के प्रति सम्मान हमेशा बना रहेगा. उन्होंने राजनीतिक फैसला कर लिया तो उसके लिए बधाई देता हूं. उपचुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं से बातचीत कर फैसला लेंगे. हमारा रास्ता अब भी वही है जो पहले था. हम आम लोगों की समस्याओं के लिए लड़ रहे हैं.

उधर बिहार में आरजेडी और ‘हम’ नीतीश कुमार पर डोरे डालने में जुट गई हैं. उन्हें उम्मीद है कि शायद बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति के तहत नीतीश पलटी मारकर विपक्ष की तरफ आ जाएं. आरजेडी की नेता राबड़ी देवी ने कहा है कि अगर नीतीश महागठबंधन में आते हैं तो उनका स्वागत है. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी उन्हें महागठबंधन में आने का न्योता दिया. याद रहे, पिछले असेंबली चुनाव में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर बिहार में मोदी मैजिक को फेल कर दिया था. राज्य के कई नेताओं को लगता है कि बिहार में यह प्रयोग फिर संभव है क्योंकि नीतीश कुमार नई ताकत लेकर उभरी बीजेपी के साथ सहज नहीं हैं और वे अपनी स्वतंत्र हैसियत बनाए रखना चाहते हैं.

कर्नाटक में जनता दल (एस) भी इस तपिश को महसूस कर रहा है क्योंकि कांग्रेस और जनता दल (एस) के दावों के बावजूद प्रदेश प्रमुख ए. एच. विश्वनाथ सत्तारूढ़ गठबंधन में संकट का हवाला देकर पार्टी छोड़ रहे हैं. गठबंधन में फूट उभर रही है और कई नेता कर्नाटक में बीजेपी के पाले में जाने को तैयार हैं.

पश्चिम बंगाल में भी लोकसभा चुनाव के नतीजे उत्प्रेरक का काम कर रहे हैं क्योंकि चार विधायकों सहित पार्टी के कई नेता बीजेपी के साथ हाथ मिला चुके हैं. बंगाल में 18 सीटें जीतकर आक्रामक बीजेपी दावा कर रही है कि ममता बनर्जी की पार्टी के नेता बीजेपी में शामिल होने को तैयार हैं. विपक्ष के सामने बीजेपी की चुनाव मशीनरी अजेय होकर उभरी है. फिलहाल विपक्ष के पास दूर-दूर तक बीजेपी से मुकाबले की रणनीति नहीं दिख रही.

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