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परले राम कुकुर के पाला

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची आज सुबह-सुबह कउड़ (अलाव) तापते हुए काका का आलस थोड़ा कम हुआ तो पैर पसारते हुए बड़बड़ाये. परले राम कुकुर के पाला, खींचि-खांचि के कइलस खाला. बचपन में सुनी गयी कहावत का अर्थ, उस समय बिलकुल पता नहीं था. अब थोड़ा-थोड़ा समझ में आता है. लेकिन अचानक काका के मुंह से इस कहावत को सुनकर जिज्ञासा हो उठी. आखिर किस महानुभाव के बारे में काका विचार कर रहे हैं. कौन राम किस कुकुर के पास आ कर अपनी दुर्गति करा रहे हैं. बिना पूछे रहा नहीं गया. आसपास बैठे अन्य लोग भी जानना चाहते थे. बिना किसी मनउव्वल के काका भी प्रसंग पर आ गये. कभी जय श्री राम का नारा देकर राम की छवि पर अधिकार जमाने की कोशिश करनेवाले अब गीता के पीछे पड़ गये हैं. ऐसा कर ये अपना कौन सा भला करना चाहते हैं नहीं पता, लेकिन राम और गीता की दुर्गति जरूर कर बैठते हैं, इसमें कोई शक नहीं है. काका ने कहा कि देखना अब इसे लेकर सेक्युलरबाज अपने गाल बजायेंगे, वामपंथी अपने गहरे लाल रंग को बदरंग होते देखेंगे और दलितों के बेटे-बेटियां सवर्ण राजनीति के विरोध में विष वमन करते करते इधर उधर लोटते दिखेंगे. वास्वकिता तो यह है कि य

असली चमचे कभी पिटा नहीं करते

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची   पिछले दिनों टाइम्स ऑफ इंडिया  में एक रोचक आलेख पढ़ा- ‘टाइम टू टैकल द ग्रेट इंडियन चमचा’. इसे पढ़ कर मुझे  लगा कि अखबारों को दिन में सपने देखने की आदत है. चमचा शब्द का प्रयोग हम प्राय: ईष्र्यावश करते हैं. जब कोई दूसरा हमसे बाजी मार ले जाता है, तब उसे चमचा करार देकर खुद को तसल्ली देते हैं.    चमचा का अर्थ सभी जानते हैं, फिर भी शब्दकोश की कृपा से प्राप्त अर्थ आपको बताये देता हूं- ‘यह कलछी की तरह का एक छोटा उपकरण है, जिसमें अंडाकार छोटी कटोरी में लंबी डंडी लगी होती है, और जिससे कोई चीज उठाकर खायी या पी जाती है.’ चमचों को लेकर हमारी जो समझ हैं, उसमें यह अर्थ कितना फिट बैठता है, यह मैं आप पर छोड़ता हूं. मैं तो कहता हूं कि यह दुनिया ही चमचों की है. हम अनायास चमचागीरी में आनंदमग्न हो उठते हैं. चमचे भी अपनी चमचागीरी करवाते हैं. किसी महान व्यक्ति ने कहा है, कि गुलाम लोग ही सबसे अधिक गुलामी कराना चाहते हैं.    यह बात चमचों पर सटीक लागू होती है. दूसरों की चमचागीरी करनेवालों को भी अपनी चमचई करनेवाले प्रिय होते हैं. चमचों के महत्व को हमारे फिल्मकारों

Taken from Prabhat Khabar news paper

This interview is taken by Shri Harivansh ji  भाईश्री महान स्वतंत्रता सेनानी और गांधी जी के प्रिय पंडित रामनन्दन मिश्र के पुत्र हैं. इनका नाम है उदय राघव. माता-पिता प्यार से अन्ना कह कर पुकारते थे. अन्ना के नाम से ही मित्र बुलाते हैं. अन्ना जी ने डॉक्टरी (एमबीबीएस) की पढ़ाई की. फिर अपने वृद्घ पिता की सेवा और आध्यात्मिक साधना में निमग्न हुए. अब अध्ययन और साधना उनके जीवन के हिस्से हैं. अत्यंत मामूली ढंग से रहना. बहुत सादगी में जीना. पर दुनिया की ताजा और नवीन खबरों के साथ-साथ अध्यात्म का इतना गहरा अध्ययन जीवित लोगों में कम देखने को मिलेगा. उनके साथ बातचीत का पहला हिस्सा कल आपने पढ़ा, जिसमें उन्होंने बताया कि आज जो भी विकृतियां नजर आ रही हैं, उनका कारण है अतिशय भोग. इससे छुटकारा पाये बिना कोई मूल्य टिक नहीं सकता.  अगर ईश्वर हैं, तो जीवन में कैसे दिखते हैं? गांधी को, विवेकानंद को, रामकृष्ण परमहंस को, रमण महर्षि को या अन्य जो हमारे बड़े ऋषि-महर्षि हुए, उनको कहां दिखायी देते थे और कैसे प्रेरित करते थे? ये सारे महापुरुष, जिनका तुमने नाम लिया या जिनका नहीं लिया, वे अपने-अपने ढंग से उस म

Its taken from Prabhat Khabar दस आदमी के पास बहुत और नब्बे के पास अभाव

आज टेक्नोलॉजी ने समाज को तेजी से बदला है. इसी नयी संस्कृति की देन है, बिना शादी के लिव-इन रिलेशनशिप का जन्म. 13 नवंबर 2014 के दिल्ली के एक बड़े अखबार में पढ़ा कि अदालती आंकड़ों के अनुसार तीन साल में महज दिल्ली में लिव इन रिलेशनशिप में 12 गुणा से अधिक हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई. यह हिंसा, मार-पीट, जानलेवा हमलों से लेकर हत्या तक है.   लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद बलात्कार के आरोपों की बाढ़ आ गयी है. सिर्फ दिल्ली में, वर्ष 2013 में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे लोगों ने बलात्कार के 2049 मामले दर्ज कराये. बेंगलुरू में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं (तीन वर्ष की बच्ची से भी बलात्कार) का कोई निदान कानून-व्यवस्था या राजनीति नहीं निकाल पा रहे. इसलिए 11 नवंबर 2014 को टाइम्स ऑफ इंडिया की बड़ी खबर थी कि प्री-यूनिवर्सिटी के पहले की बेंगलुरू की शिक्षण संस्थाओं ने सुरक्षा के लिए यह तय किया है कि हर लड़की संस्थान को यह सूचना देगी कि वह कब, कहां, किससे बातें कर रही है. वह कब घर से निकलती है, कब घर पहुंचती है और कब कैंपस छोड़ती है?     दरअसल, समाज गिर चुका है. किसी गड्ढे के सबसे नीचे की सतह क

Quotes by Late PM Indira Gandhi

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‘There exists no politician in India daring enough to attempt to explain to the masses that cows can be eaten’. quotes by Late PM Indira Gandhi

Indira Gandhi the true gandhian.

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Late PM Indira Gandhi used to say that if one of my sons is weak then I need to take more care of that son. And if for taking care of that son who is weak, if someone is angry with me, I am not bothered. This was her thinking about the minorities.

हम पर भरोसा कर बनते हो बुद्धिजीवी ?

लोकनाथ तिवारी प्रभात खबर, रांची वंस अपॉन ए टाइम (किसी नेता को बुरा न लगे, इसलिए यूं ही लिख दिया, इसे आप करेंट घटना ही समङों) बहुत बड़े अनुभवी व्यक्ति ने यह कहते हुए सामनेवाले की बोलती बंद कर दी.. मियां बनते हो बड़का महान बुद्धिमान और मेरी बातों में आ गये. मैं अब तक फेंके जा रहा हूं और आप हैं कि मन मिजाज लगाकर हमारी बातों को तरजीह दिये जा रहे हैं. ऐसे बुद्धिहीन से तो बात करने में भी मजा नहीं आता. आप तो निरे मैंगो पीपुल निकले. न जानना न बूझना बस विश्वास कर लेना. ऐसा कैसे चलेगा. दुनियादारी सीखनी होगी. ऐसे ही एक नेताजी के घर में चोर आ गया. जैसे ही उन्होंने चोर को देखा, चोर भागने लगा. बस नेताजी भी उसके पीछे-पीछे भागने लगे. अब भला चोर की क्या औकात जो वह नेताजी से कंपीटिशन कर पाये. पलक झपकते ही नेताजी चोर से आगे निकलते हुए जोर से चिल्लाए, एक तो चोरी, उपर से मेरे साथ रेस. बड़े साहसी चोर हो भई. शरम करो, अपनी औकात पर गौर करो और सामनेवाले की काबलियत को ध्यान में रखो. फिर कंपीटिशन करने मैदान में उतरो. चोरी चकारी, बेइमानी, झूठ बोलने जैसे काम में महारत हासिल करनी है तो पहले हमारे घर छह महीने पान