गांधी हत्या रहस्य

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे दोनों ने मिलकर फैसला किया था कि महात्मा गांधी को मार दिया जाए। लेकिन दोनों में किसके जहन में यह साजिश आई थी, यह अब तक रहस्य बना हुआ है।
महात्मा गांधी की 60वीं पुण्यतिथि पर जारी होने वाली एक किताब में कहा गया है कि यह अब तक रहस्य है कि दोनों में से किसने यह साजिश रची थी। दोनों ने यह फैसला तब किया था जब खबर आई थी कि गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने की वकालत की है।
गोडसे और आप्टे दोनों ने पूना में एक अखबार के दफ्तर में टेलीप्रिंटर पर यह खबर पढ़ी और फैसला किया कि गांधी की हत्या कर दी जाए। लेकिन यह आज तक पता नहीं चला कि दोनों में से यह साजिश किसने पहले रची क्योंकि इसके बाद गांधी के हत्यारे के रूप में सिर्फ एक ही नाम सामने आता रहा गोडसे।
यह लिखा गया है कि मनोहर मलगांवकर की आने वाली किताब के नए संस्करण द मैन हू किल्ड गांधी में। 94 वर्षीय मनोहर ने इस किताब का पहला संस्करण 1978 में प्रकाशित किया गया था। इस नए संस्करण में फोटो और वे दस्तावेज भी शामिल किए गए हैं जिनमें गोडसे और आप्टे के इस हत्या के मिशन पर होने के सबूत हैं जैसे बॉम्बे-दिल्ली एयर टिकट और होटल के बिल आदि।
लेखक के अनुसार छह लोग महात्मा की हत्या की साजिश में शामिल थे जिनमें से दो को फांसी दी गई। अन्य चार बडगे, करकरे, गोपाल और मदनलाल को उम्र कैद की सजा दी गई थी। लेखक का दावा है कि इन चारों ने उनसे इस साजिश के बारे में खुलकर बात की है और ऐसे तथ्यों का खुलासा किया है जो लोगों को आज तक नहीं पता।

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