बिनु हरि कृपा मिलहु नहीं पंथा

लोकनाथ तिवारी
प्रभात खबर, रांची
बिनु हरि कृपा किसी का भला नहीं हो सकता. गोस्वामी तुलसीदास जी का यह फार्मुला आधुनिक नेताओं के लिए लाइफलाइन साबित हो रही है. जीतेजी गुमनामी का नरक भोगने से तो बेहतर है कि  हरि भजन में मगन होकर मलाई काटें. किसी को दुखी किये बिना सुखी होने का फार्मुला बड़ा सहज है. गोस्वामी तुलसीदास जी का अनुसरण करिये. हरि गुन गाइये. जमीनें कब्जानी हैं, आलीशान घर बनाने हैं, बडी गाड़ियां खरीदनी हैं, कुछ स्विस बैंक में भी जमा करना है, राजनीति की वैतरणी पार करनी है तो अब एकमात्र हरि हैं, जिनको भजने से बेड़ा पार हो सकता है. अब तो जिसे देखिये वही हरि शरण का मोहताज दिखने लगा है. यह अनायास ही नहीं है. कई लौह पुरुषों का हश्र देख कर तो ऐसा करना लाजिमी (मजबूरी) भी है.
कभी भारी-भरकम, तेज-तर्रार और पता नहीं क्या-क्या, किन-किन विशेषणों से अतिशोभित लौह पुरुषों को निर्वासित कोपभवन का (गैर) महिमामंडित सदस्य बनना पड़ा है. इनकी हालत देखकर सबका पौरुष धरा का धरा रह गया है. धर्म प्रधान हमारे इस देश में जो हरि के गुन गाता है, उसका कल्याण खुदा भी नहीं रोक पाते. हरि कृपा से उस पर तीनो लोक के वैभव, यश, धन बरसने  लगते हैं. सारे दुख-कष्ट मिट जाते हैं. हर तरफ खुशियां ही खुशियां भर जाती है. वह रंक से राजा बन जाता है. वर्तमान युग में एक ही हरि हैं, जिनकी कृपा से सभी अपनी खामियों के बावजूद अपनी महत्वाकांक्षा की रोटियां सेंकना चाहते हैं. सुना है, जिन राज्यों में चुनाव होनेवाले हैं, वहां भाजपा किसी को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं करेगी. मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़े जायेंगे. बस इसी की ताक में लगे भक्तगण अभी से हरिभजन में जुट गये हैं. हे प्रभु, हम कुटिल खल. . हैं. हमें पार लगायें, की तर्ज पर सभी हरि भजन में जुट गये हैं. अपनी करनी व कारगुजारियों को ढकने का इससे बेहतर अवसर मिल भी नहीं सकता. इसमें कुछ अधिक करना भी नहीं है. बस तन-मन से हरि भजन में लीन हो जाना है. इसके बाद कृपापात्र होने से भला कौन रोक सकता है.
हरि कृपा से किस चीज की कामना की जाती है. यहीं न कि भई, हमारे जीवन में सुख हो, समृद्धि हो, ऐश्वर्य हो. क्या यह किसी और मेथड से मिलेगा? जब मिलेगा तो त्यागी भी बन जायेंगे. त्याग करना तो तभी संभव होगा, जब आपके पास त्यागने लायक कुछ हो. इसलिए पहले अपना घर ठीक करो. छल से, कपट से, गबन से,  जैसे भी हो सके. पहले अपना घर भरो, फिर त्यागने के बारे में कल्पना करो. इनका फलसफा भी जायज है. अरे भाई त्याग करने के लिए भी तो कुछ होना चाहिए. कल तक नेताओं का चमचा बन कर गुजारा करनेवाले अब चार्टर्ड विमान की कल्पना करने लगे हैं तो इसके पीछे कुछ तो पुण्य होगा ही. और कुछ नहीं तो हरि कृपा पाने के लिए भजन कीर्तन की कम से कम 1008 माला जाप किये होंगे. अपनी आशा-आकांक्षा को पूरा करने के लिए बस इतनी सी कामना करने में कोई बुराई भी नहीं है. बस इतनी सी आशा पूरी करने का ख्वाब देखनेवाले तन मन से धन की कामना में जुटने के लिए हरि भजन पर उतारू हो जायें तो इसमें उनका क्या दोष. अब तो इसी में भलाई है कि हम भी हरि भजन में लीन होकर अपने पाप धुलवाने की ओर अग्रसर हो जायें, फिर फल मिलने से कौन रोकेगा. 

Comments

Popular posts from this blog

परले राम कुकुर के पाला

राजीव गांधी: एक युगद्रष्टा

दिन महीने साल गुजरते जायेंगे..