आप तो बड़े जहीन हैं मियां !

लोकनाथ तिवारी
प्रभात खबर, रांची   ब्रrांड में सबसे बुद्धिमान प्राणी कौन है? एक सुर में इसका जवाब कोई भी दे सकता है. आप भी. हम भी. लेकिन इसका जवाब सदैव पक्षपात पूर्ण ही माना जायेगा. अपने मुंह मियां मिट्ठ बनने वाले प्राणियों में शिरोमणि माने जानेवाले मनुष्य को इसका जवाब देने में जरा भी संकोच नहीं होता. सभी एक सुर में इसका जवाब देंगे. मनुष्य. यह सही है कि इसका जवाब जानने के लिए हमने अन्य प्राणियों की प्रतिक्रिया तो ली नहीं. उनका जवाब सुन व समझ लेते तो शायद मानव जाति की खुशफहमी ही दूर हो जाती.
आप सोच रहे होंगे कि अनायास ही इस तरह के दार्शनिक विचार हमारी खोपड़ी में तो आ नहीं सकते. आप सही हैं. जबसे हमारे प्रधानमंत्री साहब ने मुसलमानों को देशभक्ति का सर्टिफिकेट दिया है, तब से हमारे फुरकान भाई फूले नहीं समा रहे. उनकी छाती पता नहीं कितने गज की हो गयी है. वह तन गये हैं. समाज सेवा के लिए गांव और समाज के साथ-साथ पता नहीं कितनी बार उनको जिले में  मंच पर सम्मानित किया जा चुका है. लेकिन जब से प्रधानमंत्री की मुसलमानों के बारे में टिप्पणी सार्वजनिक हुई है तब से वह खुद को ज्यादा सम्मानित महसूस करने लगे हैं. देखा देखी शिवसेना सुप्रीमो ने भी प्रधानमंत्री के बयान की प्रशंसा कर दी है. पक्ष विपक्ष सभी इस बयान की सराहना कर रहा है. लेकिन आखिर इसकी नौबत क्यों आयी? इस पर कोई विचार नहीं कर रहा है.
प्रधानमंत्री के इस बयान पर कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. कोई इसे वोट बैंक से जोड़ रहा है तो कोई इसे राजनीति व कूटनीति से. फुरकान भाई जैसे लोगों का मानना है कि मुसलमानों को देशभक्ति का सर्टिफिकेट लेने के लिए किसी नेता के बयान का आश्रय नहीं लेना पड़ेगा. हिन्दुस्तानी मुसलमान दुनिया की पहली वह कौम है जो भारत में अपनी मरजी और खुशी से रुकी है हिन्दुस्तान का मुसलमान इंडिया में रहने के लिये मजबूर नहीं था और न ही किसी की अनुमति का मोहताज है. भारत इस मुल्क के मुसलमानों का अपना मुल्क है इस मुल्क की आजादी की तारीख मुसलमानों की बेपनाह कुरबानियों को भुला कर नहीं लिखी जा सकती. इस मुल्क की आजादी और तरक्की हर ईंट में मुसलमानों का खून शामिल है. यह एक ऐसी हकीकत है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता. आखिर भारत का मुसलमान देश पर नहीं मर मिटेगा तो क्या दाऊद और ओवेसी जैसों की बातों पर अपने को कुर्बान करेगा? हालांकि प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद सेक्युलर पार्टियों की रातों की नींद जरूर उड़ गई है. उनकी खामोशी बता रही है की इस प्रकार के बयान के बाद उनका वोट बैंक खिसक गया है. तथाकथित सेक्युलर पार्टियां शायद ही चुप बैठ जाय. इस बयान को भी राजनीतिक रंग दिया जा सकता है. इस पर भी हाय तोबा मच सकती है. इसे मुसलमान व हिंदू के नजरिये से देखा जा सकता है.  इस बात पर कई जानकार सवाल भी खड़े हो रहे हैं. हर साक्षात्कार से पहले पत्रकार से सवाल की मांग करनेवाले और पत्रकार कौन सा सवाल पूछेगा, इसकी सूची मांगनेवाले के इस बयान पर सवाल उठना भी लाजिमी है. एक पत्रकार के तीखे सवाल पर तो उन्होंने बीच रास्ते में हेलीकॉप्टर से उतार दिया था. सवाल या जवाब कुछ भी हो, फुरकान भाई जैसे लोगों को तो उसी की प्रशंसा भाती है, जिससे प्रशंसा हासिल करने की उम्मीद सिफर हो. 

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