लो जी ‘भरत’ के भी अच्छे दिन आ गये

लोकनाथ तिवारी
प्रभात खबर, रांची
सैकड़ों कीमती सैंडल पहननेवाली तमिलनाडु की अम्मा को जमानत नहीं मिल रही. आप सोच रहे होंगे कि ये सैंडल घर में अनाथ पड़े होंगे. ऐसा नहीं है. अब ये किसी के पैर की शोभा नहीं बढ़ाते बल्कि तख्त पर विराजमान हैं. जिस तरह राम जी के वनवास गमन के बाद भरत ने उनके खड़ाऊं को सिंहासन पर रख अयोध्या पर राज किया उसी तरह से अम्मा के सैंडल को तख्त पर रख कर एक बंदा भरत सरीखा फर्ज अदा करने में व्यस्त है. अम्मा के जेल जाने से तो उनके फैन्स बिलख-बिलख कर रो रहे हैं. सबसे अधिक बिलखने पर पन्नीरसेल्वम को ताज मिला. अम्मा के जेल में रहने से ये विलाप जायज भी है. इस कुनबे के मंत्री भी फफक कर रो पड़े. मीडिया के सामने इनको रोते देख गोलू, चिंटी व किशन तो पूछ बैठे कि पापा इनको किसने मारा है. किसी तरह घुड़क कर उनको शांत कराया.  अम्मा की जमानत की अरजी जब-जब खारिज होती है, पन्नीरसेल्वम रो पड़ते हैं. पता नहीं क्यों, उनको रोते देख मुङो अपने भ्राताश्री की धर्म पत्नी की याद आ गयी. भौजाई बात-बेबात बिलख पड़ती हैं, और पूरा घर उनके सामने हथियार डाल देता है. अब यह मत पूछिए कि अपनी पत्नी की याद क्यों नहीं आती.  पन्नीरसेल्वम के बारे में एक और रोचक बात है, जिसे शेयर कर मैं किसी को छोटा नहीं करना चाहता. अपने पनीर (वही भरत रूपी सैंडल शिरोमिण सीएम) भाई भी पहले चाय बेचते थे.  पहली बार 1996 में नगरपालिका के चेयरमैन बने. उसके बाद विधायक और फिर मुख्यमंत्री. अब मुद्दे पर आता हूं, यानी पनीर भाई को बिलखते देख कई बार मुङो शक भी होने लगा है. उनके आंसू गिरते देख लगता है, जैसे ये खुशी के आंसू हों. अरे भई अम्मा जितने दिन जेल में रहेंगी, उतने दिन पनीर भाई की चांदी ही चांदी. ये रामायण काल के भरत तो हैं नहीं कि राम के नहीं आने तक वनवासी वेशभूषा धारण किये रहें.  सत्ता सुख तो अच्छे अच्छों को स्वामीभक्ति से विमुख कर देता है. अम्मा के मामले का एक रोचक पहलू यह भी पता चला है कि उनको सशर्त जमानत देने पर बचाव पक्ष और सरकारी वकील में सहमति बन गयी थी,  लेकिन कर्नाटक हाइकोर्ट ने मना कर दिया. उनके अनुसार भ्रष्टाचार मानवाधिकार का उल्लंघन है जो समाज में असमानता पैदा करता है. खैर! अम्मा को जमानत न मिलने से एक बात तो साबित हो गयी है कि अब भरत सरीखे नेताओं को चांदी काटने का मौका मिल सकता है. ऐसे में दीदी (ममता बनर्जी) के लायलिस्टों की टकटकी बढ़ गयी है. पता नहीं कब उनके भागों छींका टूट जाये. सारधा घोटाले में जिस तरह एक-एक कर पार्टी के शीर्ष नेताओं व दीदी के सिपहसालारों के नाम उजागर हो रहे हैं, उससे तो लगता है कि वह दिन दूर नहीं. निकट भविष्य में न सही आनेवाले समय में बसपा सुप्रीमो बहन जी (मायावती) के वफादार भी ऐसी उम्मीद कर ही सकते हैं. आखिर भरत सरीखे लोगों के भी अच्छे दिन आने चाहिए.  

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