अब भ्रामक विज्ञापन किये तो खैर नहीं

एक हफ्ते में गोरापन और 15 दिन में मोटापा कम करने जैसे तमाम विज्ञापन आपने टीवी पर देखे होंगे। हजारों- लाखों लोगों ने ऐसे प्रोडक्ट्स को खरीदा होगा जिससे वह एक हफ्ते में गोरे हो जाएं या फिर 15 दिन में अपना मोटापा कम कर लें। कई बार इनसे लोगों को फायदा होता है लेकिन बहुत बार वह धोखे का शिकार हो जाते हैं। टेलीविजन सहित तमाम संचार माध्यमों का मूल काम समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों को उजागर करना होता है, जिस से भोली-भाली जनता इन सब के चक्कर में ना पड़ें और जनता की मेहनत की कमाई को इन लूटेरों द्वारा लूटे जाने से बचाया जा सके। झूठे वादे और भ्रम ़फैलाने वाले विज्ञापन के कार्यक्रमों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सरकार ने कई नियम बनाए  है पर इसके बावजूद इनका सही समय पर प्रयोग ना किये जाने के कारण इसका असर नाकाफी हो जाता है। ढेरों भ्रामक विज्ञापन इन दिनों प्रचार माध्यम खासकर टीवी पर  प्रसारित हो रहे हैं। उनमें से कही बाबा का दरबार लग रहा है तो कोई फिल्मी सितारा संधी-सुधा तेल बेच रहा है या फिर शनिदेव का प्रकोप या यंत्र तंत्र के विज्ञापन। ये लोगों को जिंदगी को रातों रात बदलने का दावा कर, अपना माल बेच रहे है और आम जनाता को हर रोज लाखों करोड़ों का चूना लगा रहे है।
अपने प्लांटेड लोगों को खड़ा कर ये लोग सवाल पूछवाते हैं या फिर अपनी और अपने उत्पाद की तारीफ करवाते है,  बार-बार ऐसे दृश्य दिखाये जाने से आम जनता इस झूठ में फंस कर अपनी गाढ़ी कमाई लुटा बैठती है। ऐसे भ्रामक विज्ञापनों के ब्ाूते करोड़ों की कमाई करनेवालों के साथ इसका प्रचार करनेवालों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार अब ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह का गठन होगा जिसमें भ्रामक विज्ञापनों की सूची बनाकर उन पर कार्रवाई की जाएगी। खास बात ये है कि भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलिब्रेटी भी इसकी दायरे में आएंगे और उन्हें भी सजा और जुर्माना हो सकता है। भ्रामक विज्ञापन के संबंध में जवाबदेही तय करने के लिए मंगलवार को एक नए मसौदा विधेयक पर विचार किया जाएगा। इसके तहत भ्रामक विज्ञापन करने वाली हस्ती पर 50 लाख रुपए तक जुर्माना और पांच साल कारावास की सजा दी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वाले मंत्री समूह की बैठक में मसौदा विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। इससे पहले इस मसौदे पर उपभोक्ता मंत्रालय के सुझावों पर विचार किया जाएगा। इस अनौपचारिक मंत्री समूह में वित्तमंत्री अरुण जेटली के अलावा, उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिजली मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण भी हैं। मंत्रालय ने भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए कड़े प्रावधानों और ऐसे विज्ञापन करने वाली हस्तियों के खिलाफ जवाबदेही तय करने का प्रस्ताव दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक पहली बार ऐसे भ्रामक विज्ञापन करने वाले हस्ती को 10 लाख जुर्माना और दो साल की सजा का प्रस्ताव है, अगर दूसरी बार भी ऐसा करता है तो 50 लाख रुपए तक जुर्माना और पांच साल की सजा हो सकती है।
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन दिखाने के लिए कई बार कंपनियों को फटकार भी लगायी है। हाल ही में योगगुरु रामदेव के पंतजलि आयुर्वेद उत्पाद को कड़ी फटकार लगाई गयी थी। एएससीआई ने पतंजलि के अलावा एचयूएल, पेप्सीको, ब्रिटानिया, पिजा हट, अमेजन, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, वोल्टास, एक्सिस बैंक, एयर एशिया और फ्लिपकार्ट सहित कई अन्य कंपनियों को भी डांट लगाई है। परिषद की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मई में उसे 155 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 109 मामलों को उसने सही पाया है। परिषद ने योग गुरु रामदेव के पंतजलि आयुर्वेद के जीरा बिस्कुट, कच्ची घानी सरसों तेल, केश कांति और दंतकांति सहित अन्य उत्पादों के खिलाफ शिकायतों को सही पाया है। नियामक ने पतंजलि के इन सभी विज्ञापनों को भ्रामक पाया है। ऐसा नहीं है कि रामदेव के पतंजलि के खिलाफ उत्पादों के विज्ञापन में भ्रामक तथ्यों को फैलाए जाने का यह पहला मामला है। इससे पहले मार्च और अप्रैल में भी परिषद ने पतंजलि के खिलाफ छह मामलों को सही पाया था।
वहीं दूसरी ओर इस मामले में एचयूएल और पेप्सी की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि पतंजलि आयुर्वेद ने फैसले पारित किए जाने के तरीकों पर सवाल उठाया है और आरोप लगाया है कि इस कदम के पीछे कुछ प्रतिस्पर्धी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) का हाथ है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे इस मामले में कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं क्योंकि गैर-सदस्यों के खिलाफ कोई आदेश नहीं पारित कर सकते हैं। उनके (एएससीआई) के खिलाफ कई फैसले हैं। इसके फैसले किसी गैर सदस्य पर बाध्यकारी नहीं होते हैं। एएससीआई ने पेप्सीको इंडिया की उसके विज्ञापन हर बोतल पर पेटीएम कैश पक्का के लिए खिंचाई की है। अब विज्ञापन करनेवाले सितारों की जवाबदेही तय करने से इस पर थोड़ा अंकुश लगने की उम्मीद जगी है।

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