हमारे संस्कृति प्रेमी योद्धा

लोकनाथ तिवारी (Lokenath Tiwary)
संस्कृति प्रेमी योद्धाओं के समर्थन में सड़कछाप ज्ञानियों व बयानवीरों की फौज मुखर हो गयी है। उन्हें शायद यह नहीं पता कि जयपुर के जयगढ़ किले में करणी सेना के लोगों ने फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट करके राजस्थान की उस महान सांस्कृतिक दृष्टि का अपमान किया है जो अपने संगीत और कलाप्रेम के लिए पूरी दुनिया में पहचानी और सराही जाती है। उन्होंने निर्माणाधीन फिल्म ‘पद्मावती’ की उस स्वघोषित स्क्रिप्ट को लेकर फिल्म यूनिट के खिलाफ हिंसा का रास्ता चुना जिसे वह जानते तक नहीं थे। इससे वह सभी जगहों पर हास्य के पात्र भी बने हैं। कलाकार की वह रचना जो अभी सामने ही नहीं आई, जिसके स्वरूप के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं, उसपर इस तरह का विरोध सरासर नाजायज ही कहा जाएगा।  भंसाली प्रॉडक्शन्स ने स्पष्ट कहा है कि फिल्म की पटकथा में पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कोई रोमांटिक दृश्य नहीं है। भंसाली प्रॉडक्शन ने साफ किया कि पद्मावती और खिलजी के किरदारों के बीच कोई भी आपत्तिजनक या फिर रोमांटिक सीन नहीं फिल्माया गया है।
जब फिल्म बनकर रिलीज होती और फिर यह बात सामने आती कि उसमें चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के परस्पर विरोधी चरित्रों के इर्दगिर्द बुनी हुई अवधी के महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत के कथातत्व के साथ वाकई कुछ छेड़छाड़ की गई है, तो उसकी आलोचना का कोई वाजिब तर्क बन सकता था। करणी सेना अगर इसे आपत्तिजनक पाती तो वह इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकती थी। इससे भी आगे का कदम यह हो सकता था कि सही कहानी के इर्दगिर्द कोई नई और बेहतर फिल्म बनाई जाती। लेकिन इसकी जगह उपद्रवियों को समर्थन देते हुए राजस्थान के गृहमंत्री भी हमलावरों का बचाव करते दिख रहे हैं तो इसमें किसी वास्तविक विरोध से ज्यादा वोटबैंक की राजनीति की बू आती है।
इस तरह की राजनीति दुनियाभर के पर्यटकों का खुले दिल से स्वागत करने वाले राजस्थान को किस गर्त में लेकर जा सकती है, इसके बारे में राजस्थान सरकार को अच्छी तरह सोच लेना चाहिए। इस बीच खबर है कि भंसाली पूरा क्रू लेकर वापस मुंबई जा चुके हैं और अब राजस्थान में इसकी शूटिंग नहीं की जाएगी। संजय लीला भंसाली के साथ जयपुर में जो हुआ है उससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत तो सदमे में है ही, उसके भीतर राजस्थान में शूटिंग को लेकर पहली बार एक दुविधा भी पैदा हो गई है। इससे संस्कृति के नाम पर लाठी चलाने वाले जड़मति लोगों का तो कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन वह राजस्थान जरूर उदास हो जाएगा, जिसे मूवी कैमरे की नजर से दुनिया की सबसे सुंदर लोकेशंस में गिना जाता है। अगर पर्यटक व फिल्म निर्माताओं को यह विश्‍वास हो गया कि इन लोकेशंस पर श्ाूटिंग करना खतरे से खाली नहीं है तो वे यहां का रुख ही नहीं करेंगे। जब फिल्मों में यहां के दृश्य नहीं दिखेंगे तो पर्यटकों की संख्या पर भी असर पड़ेगा। इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को उठाना पड़ सकता है। अत: इस तरह की उग्र प्रवृत्ति का   स्थानीय स्तर भी विरोध होना चाहिए। 

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