महिमा घटी पनही की...




लोकनाथ तिवारी
पनही (ज्ाूते) की महिमा अपरंपार है। झट से किसी की इज्जत उतारनी हो तो इसका उपयोग कारआमद साबित होता आया है। अभी भी इसका जलवा बरकरार है। हां कभी कभी ज्ाूते मारनेवाले से ज्ाूते खानेवाले अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हाल के दिनों में ज्ाूते खानेवालों को जनता ने सिर आंखों पर बिठाना श्ाुरू कर दिया है। देखा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर जब जब कोई जूता, थप्पड़ या स्याही का प्रहार होता है, तो कई ओर से करतल ध्वनि गूंज उठती है, मानो केजरीवाल ही देश की राजनीति के सबसे बड़े विलेन हों। दरअसल यह संकेत है कि देश की राजनीति किस तरह कलुषित हो चुकी है। ताम झाम से यथासंभव दूर रह, अपने वायदों की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करता हुया एक व्यक्ति, किस तरह चौतरफा असह्य हो जाता है, इसका भी सबूत केजरीवाल हैं। उन्होंने राजनीति के गतानुगतिक प्रवाह के विरुद्ध तैरने का बीड़ा उठाया है, तो ये सारी आपदाएं झेलनी ही हैं। लेकिन ध्यान रहे कि केजरीवाल पर उछलने वाला हर जूता लोक उन्मुख राजनीति की पवित्र शुरुआत पर उछल रहा है। केजरीवाल की परम्परा नष्ट हुई, तो राजनीति में जूता, स्याही, पत्थर और डंडे की भाषा ही प्रमुख होगी। पहले कुछ लोगों को केजरीवाल के नाम से ही चिढ़ रहती थी। उनका ज़िक्र आते ही मुँह कसैला हो जाता था। ख्ाुजलीवाल की संज्ञा दी जाती थी। उन्हें लगता था कि एक टुटपुंजिया कैसे किसी साहब को चुनौती देता रहता है। इसी तरह कन्हैया के नाम से भी लोगबाग उसी तरह चिढ़ते हैं। उसी तरह गरियाते रहते हैं, खोज-खोजकर दोष गिनाते रहते हैं। लेकिन फिर भी दोनों सरपट आगे बढ़े चले जा रहे हैं। अब खिसियाया आदमी जूता नहीं फेंकेगा या फिंकवाएगा तो क्या करेगा? हां कभी-कभी स्याही भी फेंक देता है। यू कैन से इट, फॉर ए चेंज। अरविंद केजरीवाल शायद पहले ऐसे नेता हैं, जिन पर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं। नवंबर 2013 में खुद को अन्ना हजारे का सपोर्टर कहने वाले एक शख्स ने केजरीवाल पर स्याही फेंकी थी। मार्च 2014 में वाराणसी में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल पर कुछ लोगों ने स्याही और अंडे फेंके थे। अप्रैल 2014 में दिल्ली असेंबली इलेक्शन के प्रचार के दौरान एक शख्स ने केजरीवाल को पीछे से पीठ पर मुक्का मारा था। इसके चार दिन बाद ही एक ऑटो ड्राइवर ने दिल्ली के सुल्तानपुरी में केजरीवाल को थप्पड़ मार दिया था। दिसंबर 2014 में दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में रैली के दौरान कुछ लोगों ने केजरीवाल पर अंडे फेंके। ऑड ईवन के फर्स्ट फेज के सक्सेस के बाद हुए जश्‍न के दौरान जनवरी 2016 में आम आदमी सेना की मेंबर भावना अरोड़ा ने केजरीवाल पर स्याही फेंकी। अब ऑड ईवन पार्ट-2 को लेकर बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल पर जूता फेंका गया है। सोशल मीडिया पर भी अरविंद केजरीवाल पर जूता फेंके जाने की घटना छायी हुई है। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर दमदारकेजरीवाल ट्रेंड कर रहा था। सोशल मीडिया पर कोई केजरीवाल को सपोर्ट कर रहा था तो कोई उनको टारगेट कर रहा था। कई लोगों ने तो मॉर्फड फोटोज ट्विटर पर डालकर केजरीवाल का जमकर मजाक उड़ाया। सोशल मीडिया पर कई फनी और पॉजिटिव कमेंट दिये जा रहे हैं। आज की विस्फोटक खबर। अगले बजट में 100 फीसदी महंगे हो जाएंगे जूते। दमदार केजरीवाल ट्रेंड करानेवाले मंदबुद्धि आपियो, उसने ज्ाूता जूता मारा नहीं पहनने दिया था। अगर मारा होता तो मुंह पर नहीं लगता। दमदार केजरीवाल के दिल्ली में दिखाए दम की चर्चा पूरी दुनिया में है, जलने वाले क्यूं न जलें? दमदार केजरीवाल अगर महाराष्ट्र में होता तो शायद जनता पानी के लिए जान जोखिम में ना डालती और प्यासी ना मरती! जैसे विराट क्रिकेट में दमदार वैसे ही दिल्ली में है अपना सबका नेता दमदारकेजरीवाल। इस तरह के कमेंट्स कर केजरीवाल का मजाक उड़ानेवाले यह भ्ाूल गये हैं कि इसी तरह की करतूतों से जनता ने उनको व्यापक बहुमत प्रदान किया था।

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