मनोज वाजपेयी को याद है मोतिहारी की छठ पूजा, माई की हिदायत

लोकनाथ तिवारी
बिहार में छठ का क्या महत्व है इसे जानने के लिए इस पर्व की तैयारी में जुटे किसी बिहारी परिवार को देख लीजिए. कलक्टर हो या चपरासी, वीआईपी हो या आम आदमी छठ माई के समक्ष हर कोई विनम्र और नत मस्तक हो जाता है. बिहारी लोग देश के किसी भी कोने में क्यों ना हों छठ पर्व को पूरे रीति-रिवाज से मनाते हैं. बॉलीवुड के सितारे हों या शीर्ष अधिकारी छठ पर्व पर अपने गांव-घर में ही मनाना चाहते हैं. अगर किसी कारणवश गांव नहीं भी जा पाते तो जहां होते हैं वहीं छठ व्रत करते हैं. छठ आते ही बॉलीवुड के स्टार मनोज वाजपेयी को मोतिहारी के गांव की छठ पूजा, कांचहि बांस के बहंगिया, अर्घ्य और कोसी भरने की याद आने लगती है.
बॉलीवुड के स्टार मनोज वाजपेयी ने मीडिया से बातचीत में अपने गांव की छठ की स्मृतियों को ताजा की. इस छठ पर मनोज को मलाल है कि मोतिहारी स्थित अपने गांव नहीं जा पाये हैं लेकिन घर की छठ उनकी यादों में आज भी घूम रही है. वे कहते हैं, दुनिया में चाहे जहां रहूं, लेकिन छठ पर्व आते ही मेरा मन अपने गांव बेलवा में घूमने लगता है. माई-बाबूजी का वहां रहना और भी खींचता है. अर्ध्य देने के लिए दउरा सिर पर रख मैं आगे-आगे चलता और माई पीछे-पीछे छठी मइया के गीत गुनगुनाते हुए आती थीं.
मनोज बताते हैं कि जिस साल कोई मनौती पूरी हुई रहती, हमारी माई कोसी भरती. हमारे हिस्से गन्ना काट कर लाने और फलों को धोने का काम रहता था. सामान्य दिनों में गन्ने के खेत में जाने का मतलब होता था, गन्ना चूसना. लेकिन छठ का गन्ना क्या मजाल कि उसे हम दांत लगा दें. और इन सबके बीच छठ के गीत, जिन्हें सुनते ही मन श्रद्धा से भर जाता. उस समय टेपरिकॉर्डर जैसा विकल्प भी नहीं था. लेकिन गांव की गलियों में घुसते ही हर घर से छठ के गीत सुनाई पड़ते. याद है, अर्घ्य का दउरा लेकर घाट पर जाना. आगे-आगे हम और पीछे माई के साथ घर भर के लोग और छठ गीतों की मिठास.कांच ही के बांस के बहंगिया कुछ भी नहीं भूला हूं.
मनोज को आज भी बचपन के वे दिन याद हैं जब छठ की तैयारी के समय उनकी माई कठोर शब्दों में हिदायत देती थीं कि जूठे हाथ से कोई सामान नहीं छूना है. छूने से पाप लगेगा. छठी मइआ खिसिआ जाएंगी. आदेश का पालन करने के लिए ना जाने कितनी बार हाथ-पांव धोना पड़ता था, लेकिन कभी बुरा नहीं लगता था. छठ की पवित्रता और साफ-सफाई, सब अद्भुत होती थी.


Comments

Popular posts from this blog

परले राम कुकुर के पाला

राजीव गांधी: एक युगद्रष्टा

दिन महीने साल गुजरते जायेंगे..