गरीबों की चिंता में दुबले राजनेता
गरीबों की रोटी छीनने की कोशिश करने वालों की ईंट से ईंट बजाने के लिए राजनेता सदा तत्पर रहते हैं। विशेषरूप से उत्तर प्रदेश में हर मुद्दे पर घमासान मचना तय है। खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति पर भी हंगामा शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने ब्रांडेड खुदरा निवेश में 51 फीसदी से 1०० फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)की अनुमति दिए जाने पर वॉलमार्ट में आग लगाने की घोषणा की है। यह आग उत्तर प्रदेश में लगाई जाएगी। जाहिर सी बात है उत्तर प्रदेश पर सबकी नजरे-इनायत हो रही है। आखिर वहां विधानसभा चुनाव जो होने हैं।
फायर ब्रांड लीडर ने घोषणा की है कि उत्तर प्रदेश में वॉलमार्ट का एक भी स्टोर खुला तो वह अपने हाथों से उसमें आग लगा देंगी। अब ध्यान देने योग्य बात है कि केवल वॉलमार्ट ही निशाने पर क्यों? इससे तो उसका भारी विज्ञापन हो गया है। उत्तर प्रदेश के अधिकांश लोग तो वॉलमार्ट का नाम तक नहीं जानते थे, उमा जी के ऐलान से इनके बीच चर्चा होने लगी है कि 'भई ई वालमारट का जिनिस हौ, जरूरे कवनो बढिèया चीज होई तबै उमा भारती नियर नेता ओहकर नाम रटत रहली।’
भारती की चिन्ता जेनुइन है। उनका मानना है कि छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले सरकार के इस कदम से प्रभावित होंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने यह कदम उठाकर सीधे-सीधे गरीबों की रोटी छीनने की कोशिश की है। उमा को प्रधानमंत्री और राहुल गांधी पर बेहद गुस्सा आ रहा है। उन दोनों को पूरे उत्तर प्रदेश पर काफी गुस्सा आता है। भाजपा का आरोप है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया तो केंद्र सरकार रोजगार का अधिग्रहण कर रही है।
रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश पर सरकार की दलील कुछ और ही है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा का मानना है कि इस फैसले से देश भर में रोजगार बढ़ेगा और गरीबी दूर होगी। ग्रामीण लोगांे व किसानों को फायदा होगा।
गरीबों का भला हो या नहीं सरकार के इस रुख से अब यह तय हो गया है कि देश में विदेशी दुकानें खुलकर रहेंगी। खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी मिलते ही संसद में हंगामा बरपा। सारे सांसद पक्ष व विपक्ष में अपनी दलीलें पेश करने को आतुर दिखे। गरीबी व गरीबों के लिए इनकी हमदर्दी उफान पर दिखी, लेकिन गरीब इस खबर से बेपरवाह अपनी रोजी-रोटी के चक्कर में फंसे रहे।
कुछ लोगों का मानना है कि किराना व्यापार में विदेशी निवेश से भारत में विदेशी दुकानें खुलेंगी, जिससे कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। यह निर्णय राज्यों के लिए बाध्यतामूलक नहीं होगा। देश में विदेशी निवेश का मॉडल यहां की जरूरतों के अनुसार ही तैयार किया गया है। चीन में भी खुदरा क्षेत्र में 1992 से ही सौ फीसदी विदेशी निवेश चालू है। चीन को आदर्श मानकर ही हमारे देश के उद्योगपति अपने विकास का खाका तैयार करते हैं। भले ही दोनों देश परस्पर सीमाओं पर काबिज होने की कोशिश में जुटे रहें लेकिनव्यवसायी वर्ग हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे को बुलंद करते नजर आते हैं।
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