ओसामा बिन लादेन की हकीकत क्या....3

पार्ट-3
तीन नवंबर, 2001 को जारी दूसरे वीडियो टेप में भी बीमार ओसामा ने अमेरिका की आलोचना की थी और मुस्लिमों से कहा था कि वे हमले पर खुशी जताएँ, लेकिन उसने किसी भी अवसर पर यह नहीं माना कि वह हमले में शामिल था। ग्रिफिन का दावा है कि 13 दिसंबर, 2001 को ओसामा की मौत होने के बाद अमेरिकी सरकार ने नया वीडियो जारी किया जिसमें लादेन ने अपने पूर्व बयानों से हटते हुए 11 सितंबर के हमलों की सारी जिम्मेदारी स्वीकारी और यह बताने की कोशिश की कि किस तरह हमला किया गया।




कहा गया कि यह टेप जलालाबाद, अफगानिस्तान में एक घर में अमेरिकी सैनिकों को मिला था, जबकि इसके साथ जुड़ा एक लेबल यह दर्शाता है कि इसे 9 नवंबर, 2001 को बनाया गया था। अमेरिका और ब्रिटेन में कहा गया कि इस वीडियो से साफ है कि अमेरिका पर आतंकवादी हमला उसी ने कराया था।



ग्रिफिन का कहना है कि स्वीकृति वाला यह वीडियो टेप जितने सवालों के उत्तर नहीं देता है उससे ज्यादा संख्या में सवाल खड़े करता है क्योंकि इस टेप में ओसामा बिल्कुल अलग दिखता है। इसमें वह भारी आदमी दिखता है जिसकी दाढ़ी पूरी तरह से काली है। उसकी पीली त्वचा का रंग भी काला पड़ गया है। उसकी नाक भी बदली हुई है और दुबली पतली अँगुलियों वाले हाथ किसी मुक्केबाज जैसे हाथों में बदल गए हैं। ऐसा लगता है कि उसका स्वास्थ्य बहुत अच्छा हो गया है।



इससे पहले लादेन को अपने दाहिने हाथ से लिखते देखा गया था, लेकिन वास्तव में वह बाँए हाथ से लिखता था। उनका कहना है कि सिविल इंजीनियरिंग पढ़े ओसामा से इस बात की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है कि वह ऐसी बातें कहता, जबकि आतंकवादी बनने से पहले वह बड़ी-बड़ी इमारतें बनाने वाला ठेकेदार था।



ग्रिफिन का कहना है कि अल कायदा प्रमुख को पता होना चाहिए कि ट्‍विन टॉवर्स में लोहे का नहीं वरन स्टील का इस्तेमाल किया गया था और पूरी इमारत में लगे स्टील या लोहे को पिघलने के लिए 2800 डिग्री फारेनहाइट की गर्मी चाहिए थी, जबकि विमान के ईंधन, हाइड्रोकार्बन आग, 1800 डिग्री फॉरेनहाइट से अधिक तक नहीं पहुँचती है।



उनका कहना है कि इस बात को मानने के लिए बहुत से कारण हैं कि 2001 के बाद के सभी टेप फर्जी हैं क्योंकि ये सभी ऐसे समय पर आए जब बुश प्रशासन को दुनिया की मदद की जरूरत थी। ओसामा की हमले की स्वीकारोक्ति संबंधी टेप भी तब आया जब बुश और ब्लेयर यह सिद्ध नहीं कर सके कि आतंकवादी हमले के लिए ओसामा जिम्मेदार है।



ग्रिफिन का दावा है कि पश्चिमी देशों की सरकारों ने अत्याधुनिक स्पेशल इफेक्ट्‍स फिल्म तकनीक से बिन लादेन की इमेज और वोकल रिकॉर्डिंग्स को बदल डाला। अब सबाल उठता है कि अगर ये फर्जी थे तो अल कायदा चुप क्यों रहा?

असली बिन लादेन का क्या हुआ?

वास्तव में उग्रवादी संगठन मिल रहे प्रचार से खुश है क्योंकि इसका समर्थन कम हो रहा था। उसने भी इस मिथ को बढ़ावा दिया कि इसका करिश्माई नेता अभी भी जिंदा है ताकि इसके साथ जुड़ने वालों को प्रोत्सा‍ह‍ित किया जा सके। वास्तव में आतंकवादी हमले के चार माह बाद जनवरी, 2002 को लादेन की बीमारी से मरने के समाचार प्रमुखता में आए।



इस संबंध में पाकिस्तानी नेताओं, परवेज मुशर्रफ से लेकर जरदारी तक, के बयान ध्यान देने योग्य हैं जिनमें कहा गया है कि ओसामा अब जिंदा नहीं है। डॉक्टरों का भी कहना है कि किडनी की बीमारी से लड़ने के लिए जिस मशीन की जरूरत होती है उसे साथ लेकर पहाड़ी दर्रों में घूमना संभव ही नहीं है।



ग्रिफिन की किताब में यह भी लिखा है कि किडनी की बीमारी से जुड़े यूरिनरी इनफेक्शन का इलाज ओसामा ने आतंकवादी हमले से दो माह पहले जुलाई 2001 में दुबई के एक अस्पताल में कराया था। तभी उसने अफगानिस्तान के लिए मोबाइल डायलिसिस मशीन का ऑर्डर दिया था। डायलिसिस कराने के लिए उसे डॉक्टरों के साथ एक निश्चित स्थान पर नियमित तौर पर रहना पड़ता होगा।



इस बात पर भी गौर करें कि 26 दिसंबर 2001 को मिस्र के एक समाचार-पत्र अल फवाद में एक छोटा-सा समाचार प्रकाशित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अफगान तालिबान के एक प्रमुख अधिकारी ने घोषणा की थी कि 13 दिसंबर को या इस समय के आसपास ओसामा बिन लादेन को दफनाया गया है।



अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि संभव है कि आतंकवादी हमला भी बुश प्रशासन ने ही कराया हो और इराक और अफगानिस्तान में अपना कब्जा बनाए रखने के लिए पश्चिमी देशों और विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन की आतंक के खिलाफ लड़ाई अभी तक जारी है रिपोर्ट में कहा गया था कि बीमारी की गंभीर ‍जटिलताओं के चलते वह स्वाभाविक मौत मर गया। तोरा-बोरा में उसे दफनाया गया और इस अवसर पर तीस अल कायदा लड़ाके मौजूद थे। करीबी परिजन और मित्र भी वहीं थे। वहाबी परंपरा के मुताबिक उसकी कब्र पर कोई निशान नहीं छोड़ा गया था।



इस तालिबान अधिकारी का नाम नहीं छापा गया था, लेकिन उसका दावा था कि उसने कफन में लिपटे ओसामा को देखा था। तब वह कमजोर लेकिन शांतचित्त और आत्मविश्वास से भरा लग रहा था। तब अमेरिका और ब्रिटेन में क्रिसमस का शोर था और किसी ने भी इस खबर पर ध्यान ही नहीं दिया। इसके बाद भी लादेन के टेप सामने आते रहे हैं और उसको पकड़ने पर अरबों डॉलर खर्च किए जा चुके हैं लेकिन वह तो धुँए की तरह गायब हो गया है।



अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि संभव है कि आतंकवादी हमला भी बुश प्रशासन ने ही कराया हो और इराक और अफगानिस्तान में अपना कब्जा बनाए रखने के लिए पश्चिमी देशों और विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन की आतंक के खिलाफ लड़ाई अभी तक जारी है।



हॉलीवुड अभिनेता चार्ली शीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से कहा है कि वे आतंकवादी हमलों की दुबारा जाँच कराएँ क्योंकि हो सकता है कि हमलों के पीछे बुश सरकार का ही हाथ हो। उन्होंने अपनी शॉर्ट फिल्म '20 मिनट्‍स विद द प्रेसीडेंट' के जरिए यह दावा किया है।



उनका दावा है कि बुश प्रशासन हमलों के पीछे था जिसे इसके बाद इराक युद्ध को न्यायसंगत ठहराने का कारण मिल गया था। उनका यहाँ तक दावा है कि आतंकवादी हमले के समय तक ओसामा बिन लादेन भी सीआईए के साथ काम कर रहा था।

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