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महिमा घटी पनही की...

लोकनाथ तिवारी पनही (ज्ाूते) की महिमा अपरंपार है। झट से किसी की इज्जत उतारनी हो तो इसका उपयोग कारआमद साबित होता आया है। अभी भी इसका जलवा बरकरार है। हां कभी कभी ज्ाूते मारनेवाले से ज्ाूते खानेवाले अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हाल के दिनों में ज्ाूते खानेवालों को जनता ने सिर आंखों पर बिठाना श्ाुरू कर दिया है। देखा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर जब जब कोई जूता, थप्पड़ या स्याही का प्रहार होता है, तो कई ओर से करतल ध्वनि गूंज उठती है, मानो केजरीवाल ही देश की राजनीति के सबसे बड़े विलेन हों। दरअसल यह संकेत है कि देश की राजनीति किस तरह कलुषित हो चुकी है। ताम झाम से यथासंभव दूर रह, अपने वायदों की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करता हुया एक व्यक्ति, किस तरह चौतरफा असह्य हो जाता है, इसका भी सबूत केजरीवाल हैं। उन्होंने राजनीति के गतानुगतिक प्रवाह के विरुद्ध तैरने का बीड़ा उठाया है, तो ये सारी आपदाएं झेलनी ही हैं। लेकिन ध्यान रहे कि केजरीवाल पर उछलने वाला हर जूता लोक उन्मुख राजनीति की पवित्र शुरुआत पर उछल रहा है। केजरीवाल की परम्परा नष्ट हुई, तो राजनीति में जूता, स्याही, पत्थर औ

माल-ए-मुफ्त दिल-ए- बेरहम

मुफ्त की चीजें सचमुच ही लजीज होती है। ऐसा खास लोग ओपेनली नहीं मानते लेकिन मन ही मन वे भी स्वीकार करते हैं। लोगों की इस मानसिकता को भ्ाुनाने की कला हमारे नेता बख्ाूबी जानते हैं। यहीं कारण है कि ठीक च्ाुनाव से पहले लोकप्रिय जमात के नेता जी लोग तथाकथित उपयोगी वस्तुएं मुफ्त देने की घोषणा करते हैं। कहा जाता है कि लोकतंत्र में मतदाता का मत बहुत कीमती होता है पर लोगबाग उसे लैपटॉप, साइकिल, के मुकाबले सस्ता समझते हैं। यहां तक मतदान केंद्र तक जाने के कष्ट को कुछ लोग मुफ्त की क्रिया समझते है। वैसे हमारे देश के अधिकतर लोग समझदार हैं पर कुछ लोगों पर यह नियम लागू नहीं होता कि वह इस लोकतंत्र में मतदाता और उसके मत की कीमत का धन के पैमाने से आकलन न करें। पानी मुफ्त मिलता है ले लो। लैपटॉप मिलता है तो भी बुरा नहीं है पर मुश्किल यह है कि यही मतदाता एक नागरिक के रूप में सारी सुविधायें मुफ्त चाहता है और अपनी जिम्मेदारी का उसे अहसास नहीं है।  जब प्रचार माध्यमों में आम इंसान की भलाई की कोई बात करता है तब हमारा ध्यान कुछ ऐसी बातों पर जाता है जहां खास लोग कोई समस्या पैदा नहीं करते वरन् आम इंसान के संकट का कारण

सोशल मीडिया: सितारे की शामत

आजकल सोशल मीडिया पर कब किस सितारे की शामत आ जाये, कहा नहीं जा सकता। सोशल मीडिया की पहुंच इतनी अधिक हो गयी है कि अच्छे-अच्छे तीस मार खां इसकी चपेट में आकर धरती पकड़ने को बाध्य हो जाते हैं। राहुल गांधी को पप्पू और पूरी दुनिया में अपना डंका पीटनेवाले नरेंद्र मोदी को फेंकू की संज्ञा देनेवाली सोशल मीडिया की मार जिस पर पड़ती है वह त्राहि त्राहि कर उठता है। हाल में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी उस समय इसकी चपेट में आ गये, जब आईसीसी की रस्म के मुताबिक दोनों मुल्कों के राष्ट्रगान की रस्म निभाई गई। भारत का राष्ट्रगान ’जन मन गण अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता’ गाने वाले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर जब बदले में चार करोड़ रुपए लेने का मैसेज वायरल हुआ तो उनके अंधभक्त भी अपशब्दों की बौछार करने से नहीं च्ाूके। जिन्होंने शालीनता निभायी, उनका दिल भी भीतर तक दु:खी हो गया। अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियत को पसंद करने वाले, उनकी जादूई आवाज पर मंत्रमुग्ध होने वाले दुनियाभर में अरबों लोग हैं। जब यह ऐलान हुआ था कि कोलकाता के ईडन गार्डन में खुद अमिताभ देश का राष्ट्रगान प्रस्तुत करेंगे तो पूरा हिंदुस्तान रोमांचित

बंदूक और चुनावी दंगल

बंदूक और चुनावी दंगल लोकनाथ तिवारी भारत में च्ाुनावी चर्चा हो और हिंसा की बात न की जाये तो चर्चा अध्ाूरी मानी जायेगी। हर बार की तरह इस बार भी च्ाुनाव की तैयारियों में बम व बंदूक का बोलबाला रहने की आशंका है। हालांकि च्ाुनाव आयोग की च्ाुस्ती से च्ाुनावी हिंसा की वारदातों में उल्लेखनीय कमी आयी है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में चुनावी हिंसा की तस्वीर बदली है। साल 1978 में बिहार में गांव-स्तर के चुनावों में 500 लोगों की जानें गई थीं। 23 साल बाद ऐसे ही चुनाव में 100 लोगों को जान गंवानी पड़ी। नई दिल्ली के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के एक अध्ययन के अनुसार, ’मतदान के दिन वोटरों को मताधिकार से वंचित कराने के लिए होने वाली चुनावी हिंसा कम हो रही है। बूथ कब्जा करने और मतदान केंद्र के आसपास गोलीबारी की घटनाएं कम हो रही हैं, मगर अदृश्य या रिपोर्ट दर्ज न कराए जानेवाली हिंसक घटनाएं बढ़ रही हैं। इन घटनाओं में चुनाव के बाद की हिंसा उल्लेखनीय है’। इन पर अंकुश के लिए चुनाव आयोग ने देश भर के पुलिस थानों को हथियारों के लिए गाइडलाइन जारी की हैं। इसमें गैरकानूनी हथियार

भगवान शिव चमत्कारी मंत्र

भगवान शिव को बिल्वपत्र अत्यंत प्रिय हैं। पौराणिक मान्यता है कि जो भी सच्चे मन एवं श्रद्धा से भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित करता है, उसके रोग, शोक, संकट नष्ट हो जाते हैं।  शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ाने के अनेक कारण हैं और इसे लेकर अनेक कथाएं प्रचलित हैं। बिल्वपत्र मूलत: शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है।  इन नेत्रों से भगवान शिव भूत, भविष्य और वर्तमान - सब पर नजर रखते हैं। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से वे जीवन में समृद्धि, शांति और शीतलता लाते हैं।  अगर बिल्वपत्र प्रेम सहित अर्पित किया जाए तो शिवजी अपने भक्त से यह भेंट अवश्य स्वीकार कर लेते हैं। भगवान शिव को यह चमत्कारी मंत्र पढ़ते हुए बिल्वपत्र चढ़ाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥ दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥ अखण्ड

सोनिया का इटली का वह घर

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'फोर्ब्स' पत्रिका ने दुनिया की ताकतवर महिलाओं की सूची में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी को छठे स्थान पर रखा है. सोनिया इस सूची में अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा से एक पायदान ऊपर हैं.    इटली का एक छोटा सा शहर तुरीन और उसका गाँव ओवासान्यो. नौ दिसंबर, 1946 को मध्यमवर्गीय माइनो परिवार में सोनिया का जन्म हुआ. यही है सोनिया का वह घर जहाँ उनका बचपन बीता और वह पली बढ़ीं.

आध्यात्मिक इंदिरा गांधी

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बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि जनता पार्टी के शासनकाल में श्रीमती इंदिरा गांधी पूरी तरह आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो गई थीं। उन दिनों सुबह-सवेरे के नित्यकर्मों से विमुक्त होने के बाद वे लगभग एक घंटे तक  योगाभ्यास  करती थीं और तत्पश्चात मा आनंदमयी के उपदेशों का मनन। सुबह दस बजे से लेकर बारह बजे के मध्य वे आगंतुक दर्शनार्थियों से मिलती थीं।  इन अतिथियों में विभिन्न प्रदेशों के कांग्रेसी नेताओं के अतिरिक्त कतिपय साधु-संत भी होते थे। अपनी उन भेंट-मुलाकातों के मध्य आमतौर पर श्रीमती गांधी के हाथों में ऊन के गोले और सलाइयां रहती थीं। अपने स्वजनों के लिए स्वेटर आदि बुनना उन दिनों उनकी हॉबी बन गई थी।  एक बजे के लगभग भोजन करने के बाद वे घंटेभर विश्राम करती थीं। विश्राम के बाद अक्सर वे पाकिस्तान के मशहूर गायक मेहंदी हसन की गजलों के टेप सुनती थीं। रात में बिस्तर पर जाने के पहले उन्हें आध्यात्मिक साहित्य का पठन-पाठन अच्छा लगता था।  इस साहित्य में मा आनंदमयी के अतिरिक्त स्वामी रामतीर्थ और ओशो की पुस्तकें प्रमुख थीं। ओशो के कई टेप भी उन्होंने मंगवा रखे थे, जिनका वे नियमित रू