वादा पे तेरे मारा गया...
वादा पे तेरे मारा गया... हर च्ाुनाव के पूर्व राजनीतिक पार्टियां लोकलुभावन वादे करती हैं। पढ़े लिखे समझदार होने का दावा करने वाले सीधे सादे बंदे इन वादों पर अपना वोट वार देते हैं। माना जाता है कि चुनाव के हर मौसम की एक थीम होती है। अक्सर कोई एक मुद्दा होता है, जिस पर चुनाव लड़े जाते हैं। या फिर कुछ वादे होते हैं, हर बार चर्चा का कोई एक मामला तो होता ही है, जिसके आस-पास चुनाव होते हैं। इस बार के विधानसभा चुनावों की थीम है- देसी घी। कम से कम पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश तक चुनाव देसी यानी शुद्ध घी और उसके वादे के आस-पास लड़े जा रहे हैं। शुरुआत पंजाब से हुई। वहां भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कहा कि उनका गठबंधन अगर सत्ता में आया, तो निम्न वर्ग के नीले राशन कार्डधारकों को 25 रुपये प्रति किलो की दर से देसी घी दिया जाएगा। यह मामला दिलचस्प इसलिए है कि पंजाब के इस गठजोड़ में भाजपा दूसरे नंबर की सहयोगी है, पहले नंबर का या नेतृत्व करने वाला बड़ा सहयोगी अकाली दल है, जिसने अपने चुनाव घोषणापत्र में हर गांव में मुफ्त वाई-फाई और क्लोज सर्किट टीवी की बात तो की, लेकिन देसी घी उसमें कहीं नहीं था। बाद में