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बाहुबली बीजेपी, खंड-खंड विपक्ष

Lokenath Tiwary (लोकनाथ तिवारी) लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के सदमे से विपक्षी पार्टियां खंड खंड हो रही हैं. विपक्षी गठबंधन टूट रहा है. पार्टियों में अंदरूनी मतभेद और इस्तीफों का दौर भी देखने को मिल रहा है. चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही विपक्षी खेमे में उथल-पुथल मची हुई है. कांग्रेस में जहां आपस में ही आरोप-प्रत्यारोप जारी है वहीं अन्य पार्टियां अलग-अलग राह पकड़ रही हैं. कांग्रेस में सबसे ज्यादा विवाद राजस्थान इकाई में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने अपने बेटे की हार के लिए उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को जिम्मेवार ठहराया है, जबकि पायलट समर्थक राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए गहलौत को जवाबदेह ठहराते हुए उन्हें पद से हटाकर पायलट को सीएम बनाने की मांग करने लगे हैं. गुजरात में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीजेपी खेमे में जाने की अटकलों के बीच ऐसा ही हाल गुजरात कांग्रेस में भी नजर आ रहा है. हरियाणा में हाल में प्रदेश समन्वय समिति की बैठक के दौरान नेताओं ने एक दूसरे पर उंगलियां उठायीं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अपना खाता खोलने में न

रुपया गिर रहा है जनाब, संभालिए

Lokenath Tiwary (लोकनाथ तिवारी) किसी देश की मुद्रा उसकी अर्थव्यवस्था की सेहत को स्पष्ट करती है. मुद्रा को संचालित करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उस देश की सरकार की होती है. अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव गहराने से बीते कुछ सप्ताह से रुपये में गिरावट बनी हुई है. छह सितंबर को पहली बार रुपया, डॉलर के मुकाबले 72 के नीचे लुढ़का था. डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन को रोकने के लिए कारगर कदम जरूर उठाए जाने चाहिए. इसमें रिजर्व बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण है. जानकारों के अनुसार हमें निर्यात को प्रोत्साहित करना होगा और आयात नियंत्रित करने होंगे, ताकि व्यापार घाटा को कम किया जा सके. डॉलर-रुपये की सट्टेबाजी पर भी अंकुश लगाना होगा. 2013 में तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने इस प्रकार के कुछ कदम उठाए भी गए थे, जिसका सकारात्मक असर हुआ था. डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये को संभालने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली सरकार भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तरीके को अपना सकती है. डॉलर डिपॉजिट स्कीम (एनआरआई बॉन्ड) केन्द्रीय रिजर्व बैंक अब अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) की मदद लेने की तैयारी कर रही है.

लोकसभा चुनाव में असर दिखायेगा एनआरसी का चुनावी गणित

असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन (एनआरसी) का मुद्दा अभी चर्चा में है. इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सबसे अधिक मुखर हैं. बीजेपी भी इस मुद्दे पर आक्रामक है. लोकसभा चुनाव 2019 के पहले इस मुद्दे को हवा देने के पीछे राजनीतिक कारण है. जानकारों के अनुसार एनआरसी का असर पश्चिम बंगाल के कम से कम 17 लेकसभा सीटों पर पड़ेगा. इसके अलावा असम, बिहार और नॉर्थ ईस्ट में भी इसका असर दिखायी देगा. चार राज्यों की जिन मुस्लिम बहुल 40 सीटों पर एनआरसी का बड़ा असर पड़ सकता है उनमें से महज 8 बीजेपी के पास हैं. इनमें से बंगाल में उसके पास 17 में से एक भी सीट नहीं है. पश्चिम बंगाल की 17 सीटों मुर्शिदाबाद, रायगंज, बहरमपुर, बशीरहाट, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, डायमंड हार्बर, जयनगर, बीरभूम, कृष्णानगर, बोलपुर, जंगीपुर, कूच बिहार, उलूबेड़िया, मथुरापुर, जादवपुर, बर्धमान में मुस्लिम आबादी प्रभावी है. बीजेपी के पास इनमें से एक भी सीट नहीं है. इसके अलावा असम, पश्चिम बंगाल, बिहार व पूर्वोत्तर की 78 लोकसभा सीटों पर एनआरसी का मुद्दा बड़ा असर डालेगा. असम की छह लोकसभा सीटों के अलावा जम्मू कश्मीर में भी मुस्लिम आबाद

क्या आप जानना चाहेंगे, किस उम्र में शादी करनी सबसे सुखद होगी, तो पढ़िये यह रिसर्च रिपोर्ट

Lokenath Tiwary (लोकनाथ तिवारी) भाई साहेब आप शादीशुदा हैं, जी नहीं वैसे ही दुखी हूं. बगैर शादी किये दुखी हैं और शादी के लड्डू का स्वाद लेना चाहते हैं तो यह रिसर्च आपके लिए ही की गयी है. आप शादी करने जा रहे हैं या शादी की सफलता को लेकर चिंतित हैं. फिर आपको इस शोधपरक रिपोर्ट को अवश्य पढ़ना चाहिए. अमेरिका के एक विश्वविद्यालय की ओर से अलग-अलग उम्र में शादी करनेवालों की शादी की असफलता और तलाक लेने के आंकड़ों पर रिसर्च कर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी करने की कौन सी उम्र सबसे अच्छी है. कौन सी उम्र में शादी करना ज्यादा खतरनाक है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा में किये गये रिसर्च के अनुसार शादी के लिए 30 से 34 साल की उम्र सर्वोत्तम होती है. इस उम्र में शादी करनेवाले जोड़े का पहले पांच वर्ष में तलाक होने की संभावना सबसे कम यानी 10 फीसदी होती है. 35 वर्ष या इससे अधिक उम्र में शादी करनेवालों में विच्छेद होने की संभावना 17 फीसदी होती है. अर्थात ऐसे लोगों में तलाक की संभावना 7 फीसदी बढ़ जाती है. ऊटा विश्वविद्यालय में सात साल के शोध बाद यह आंकड़ा हासिल हुआ है. इस र

तबाही की ओर बढ़ रहा पाकिस्तान, फिर कैसे शांति से रह सकता है हिंदुस्तान

लोकनाथ तिवारी (Lokenath Tiwary) हमारे जीवन में परिवारवालों के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान अगर किसी के लिए होता है तो वे हैं हमारे पड़ोसी, जिनको चाहकर भी हम बदल नहीं सकते. हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी शायद पड़ोसियों से परेशान होकर या उनके प्रति अपना अगाध प्रेम प्रदर्शित करने के लिए ही कहा होगा कि आप मित्र तो बदल सकते हैं,शत्रु भी बदले जा सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदले जा सकते. हमारा देश भी पड़ोसियों के मामले में भाग्यहीन ही है. सबसे करीबी पड़ोसी पाकिस्तान तो तबाही की ओर बढ़ता हुआ देश घोषित किया गया है. फ्रेजाइल स्टेट्स इंडेक्स 2017 में पाकिस्तान 18वें पायदान पर है. वह भी इस साल स्थिति में सुधार होने के बाद. फ्रेजाइल स्टेट्स इंडेक्स में ऐसे देशों को शामिल किया जाता है, जिन्हें खुद की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए. यदि आतंकवादी पाक पर पकड़ बना लेते हैं तो यह सिर्फ पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि विश्व के लिए भी खतरनाक होगा. पाकिस्तान के शासकों को देश को इस खतरे से बचाने के लिए व्यापक नीति बना कर अमल में लाने की दिशा में प्रयास शुरू कर देना चाहिए. पाकिस्तान के बारे में तो क

गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में

गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में लोकनाथ तिवारी (Lokenath Tiwary) ’वैलेंटाइन डे’ का मौसम शुरू हो गया है। कुछ देकर दिल लेने या देने की परंपरा हमारे देश में कहाँ से आई, इसका कोई ऑथेंटिक इतिहास नहीं मिल पाया है। ’रोज डे’, ’प्रपोज डे’, ’चॉकलेट डे’, टेडी बीयर डे, ’हग डे’ और ’किस डे’ के बाद वैलेंटाइन डे का बहुप्रतीक्षित दिवस आता है। इन दिनों को माध्यम बनाकर प्रेमी युगल एक दूसरे के प्रति अपने दिल की भावनाओं को उजागर करते हैं। हाँ, इसके पहले कुछ न कुछ देकर अपनी सुरक्षा पुख़्ता करने की कोशिश जरूर की जाती है। स्वयंभू प्रेमगुरुओं का मानना है कि पहले किसी के समक्ष प्रेम का इजहार करना खतरे से खाली नहीं होता था। पता नहीं कब लेने के देने पड़ जाए। कुछ देकर खुश करने के बाद अपने दिल की भावनाओं को जुबान देने में कम खतरा होता है। पहले तो चिट्ठियों के माध्यम से दिल की बात कही जाती थी, जिसमें बहुत खतरा भी होता था। खत के साथ गुलाब या गेंदे का फूल भी होता था। साथ में यह करबद्ध अनुनय विनय भी होती थी कि इसे अपने भाई, पिता या काका के हाथ में नहीं पड़ने दें। भले ही प्रेम प्रस्ताव ठुकराकर राखी बाँधने की नौबत आ

आखिर जवाब दे गया खड़ाऊं वंदन

आखिर जवाब दे गया खड़ाऊं वंदन लोकनाथ तिवारी सैकड़ों कीमती सैंडल पहननेवाली तमिलनाडु की अम्मा अब जन्नतनशीं हो गयी हैं। आप सोच रहे होंगे कि उनके सैंडल अनाथ पड़े कहीं ध्ाूल फांक रहे होंगे। ऐसी कल्पना कर दुखी होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इन सैडलों की चरणध्ाूलि लेनेवालों की तमिलनाडु की धरा पर कोई कमी नहीं। अपने पन्नीरसेल्वम तो उनके अनाथ पड़े सैंडल को तख्त पर विराजमान कर दिये थे। जिस तरह राम जी के वनवास गमन के बाद भरत ने उनके खड़ाऊं को सिंहासन पर रख अयोध्या पर राज किया उसी तरह से अम्मा के सैंडल को तख्त पर रख कर यह बंदा भरत सरीखा फर्ज अदा करने में व्यस्त रहा। अम्मा के जेल जाने से लेकर बीमार होने और उसके बाद अकाल स्वर्गवासी होने तक  उनके फैन्स बिलख-बिलख कर रोते रहे। अम्मा के अकाल प्रयाण पर इनका रोना जायज भी है। इस कुनबे के मंत्री भी रोने में हम किसी से कम नहीं की तरह कम्पीटिशन लगाये रहे। कैमरे व मीडिया के सामने तो इनकी आंसुओं की धार गंगा, जमुना, घाघरा, नर्मदा सहित कई नदियों को पानी-पानी करने के लिए काफी था। सबसे अधिक बिलखनेवाले पन्नीरसेल्वम को पूर्व की भांति ताज मिला। अपने पन्नीरसेल्वम के बारे म