‘मेरा देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है’

अमेरिका-भारत के रिश्ते भले ही परवान चढ़ रहे हों, लेकिन अमेरिकी सीनेट में भारत को विशेष दर्जा देने वाला संशोधित विधेयक पास नहीं हो सका। भारत को विशेष दर्जा देनेवाला अमेरिकी विधेयक नामंज्ाूर हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के एक दिन बाद शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्वेन ने इस संशोधन विधेयक का प्रस्ताव पेश किया था। इसका मतलब है कि भारत अब अमेरिका की नजरों में खास नहीं रहा। मोदी जी ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान पर सब्सिडी ने देने पर यूएस कांग्रेस की प्रशंसा की थी। लेकिन उनके लौटते ही यूएस कांग्रेस ने पाकिस्तान को 80 करोड़ की मदद का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं, उससे भारत को नजरअंदाज करके पाकिस्तान को अपना रणनीतिक साझेदार बताया। ऐसे में मोदी की विदेश नीति की पोल खुल गयी। मोदी ने समय के साथ ही पैसा बर्बाद किया, लेकिन अमेरिका से कोई फायदा न उठा सके।
ऐसे में सरकार का नारा ‘मेरा देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है’ के स्थान पर अभी ‘मेरा देश बदलेगा, आगे बढ़ेगा’ कहना अधिक उचित रहेगा क्योंकि दो वर्षों में धरातल पर विशेष बदलाव नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री जी ने 42 करोड़ विदेशी यात्राओं पर खर्च कर दिये, बदले में क्या मिला? अस्थिर विदेश नीति के चलते पाकिस्तान के साथ वही कटु संबंध, नेपाल को आर्थिक सहायता देने के बावजूद भारत से बेरूखी, चीन से लगाव, एनसीजी सदस्यता पर चीन की अड़ंगेबाजी।
मोेदी सरकार द्वारा दो वर्षों में किए गए कार्यों का स्वमूल्यांकन और खुद की पीठ थपथपाना केवल आत्मश्‍लाघा दर्शाता है। सत्तादल केे कार्यों को संबंधित दल के मंत्रियों और जुड़े लोगों द्वारा अच्छा बताना विशेष मायने नहीं रखता है। सही मूल्यांकन और अच्छे कार्यों की प्रशंसा यदि देश का कॉमन मैन करे, तभी सरकार का कद बढ़ा हुआ माना जाता है।
सरकार गठित होते ही आश्‍वस्त किया गया, काला धन बस आया आया...फिर जाने कैसे विदेशी तिजोरी में ही कैद होकर रह गया। प्रत्येक भारतीय के मन में पंद्रह लाख रूपये की जगाई गयी आस सिफर हो गयी। मोदी जी ने स्पष्ट कर दिया‘ चुनावी घोषणा अहम नहीं होती।’ कुछ बातें यूंही कह दी जाती हैं।  क्या यह बात बड़े व्यक्तित्व केे मुंह छोटी नहीं लगती? महंगाई को 8.26 प्रतिशत से घटकर 5.39 प्रतिशत पर उतरना बताया गया लेकिन जनता महंगाई के मारे त्राहि-त्राहि करती रही। इसके मायने यह कि कागज और हकीकत दोनों विरोधाभासी हैं। दाल के भाव, मसालों के भाव, चीनी के भाव, कुछ भी तो नहीं गिरा। फिर महंगाई कम कैसे हो गई भाई।
जीडीपी दर में कोई ऐतिहासिक बदलाव नहीं हुआ। रोजगार के अवसर गर्भ में नहीं आए, पैदा होंगे कैसे और कब? उल्टे छोटी बचतों पर ब्याज दर कम कर दी गयी। देश की 35 प्रतिशत बीपीएल आबादी जस की तस है। निजी क्षेत्रा में, वर्षों से आर्थिक रूप से शोषित अनुभवी सेवारतों की ओर ना तो सरकार तवज्जों दे रही है, ना उनके उद्धार की कोई प्रभावी योजना बनाई गयी है। बीजेपी नेताओं द्वारा सांप्रदायिक उकसावे की बयानबाजी और उसपर प्रधानमंत्री जी का मौन किसी के द्वारा भी सराहा नहीं गया। राजस्थान में शराब की पैरवी के मंत्रिायों के बयान किसी को रास नहीं आए। गोडसेे से महात्मा गांधी की तुलना किसी को पच नहीं सकी। कांग्रेस को भ्रष्टाचार का पर्याय निरूपित करना व्यावहारिक शालीनता का परिचायक नहीं है। कांग्रेस मुक्त भारत का जुमला भी बड़बोलापन ही दर्शाता है। राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठे, पता नहीं रहता। जनता तो एक अवधि बाद अच्छी सरकार को भी सत्ताविहीन करती रही है, इसलिए किसी दल को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि अमुक राज्य उसका स्थायी चुनाव गढ़ बन गया है। क्या कांग्रेस को समूचे भारतीय राज्यों से सत्ताच्युत किया जा सकता है। क्या दिल्ली में चुनावी इतिहास रचने वाले अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी को पंजाब में काबिज होने से रोका जा सकता है। यदि मोदी लहर बरकरार होती तो बिहार में नीतीश क्यों जीतते? दिल्ली भी बीजेपी की होती। हाल ही पांच राज्यों में से केवल असम में ही जीत क्यों दर्ज हुई, शेष में क्यों नहीं मिली विजय श्री। अन्य राज्यों में खाता खुलने वाली बात तो आत्मसंतुष्टि भर है।
जहां तक प्रधानमंत्राी मोदी जी के व्यक्तित्व की बात है तो शायद ही कोई उनकी गरीबों के प्रति हमदर्दी को नकार पाए। मोदी जी की राष्ट्रीय भावना‘ सबका साथ सबका विकास’ की भावना काबिले तारीफ है। उन्होंने प्रशंसा के कार्य भी किए हैं। बांग्लादेश सीमा पर लोगों को नागरिकता, म्यांमार के नगा उग्रवादियों को सबक, यमन में राहत मिशन सभी गुड वर्क हैं। रियल स्टेट रेगुलेशन एक्ट, गैस सब्सिडी, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री दुर्घटना बीमा योजना, स्टार्टअप और स्वच्छ भारत अभियान वाकई भारत की तस्वीर बदलने वाली योजनाएं हैं लेकिन अभी गरीबी मिटाने और महंगाई घटाने पर होम वर्क करने की ज्यादा जरूरत है। विभिन्न विभागों में जड़- व्याप्त भ्रष्टाचार को निर्मूल करने की जरूरत है। देश के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजगार मुहैय्या कराने की अपरिहार्य जरूरत है। जब तक देश के अंतिम नागरिक को रोटी-कपड़ा और मकान उपलब्ध नहीं होता, तब तक देश सही मायने में विकसित नहीं होगा। देश बाधा विहीन तभी कहलाएगा, जब सभी योजनाओं का लाभ अन्त्योदय के गांधी जी के स्वप्न को पूरा कर पाएगा। केवल प्रचार के ब्ाूते विकास की गाथा वास्तविकता का रूप नहीं ले सकती। जरूरत है गरीबों के लिए महंगाई विहीन विकास और आम लोगोें के लिए सहूलियत में मिलनेवाली ब्ाुनियादी सुविधाएं। जब तक इस दिशा में सार्थक व ठोस प्रयास नहीं किये जायेंगे, विकास का राग बेसुरा ही लगेगा।   

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