दो साल मोदी सरकार उपलब्धियों के साथ च्ाुनौतियां भी
दो साल मोदी सरकार
उपलब्धियों के साथ च्ाुनौतियां भी
एनडीए नीत नरेंद्र मोदी सरकार को दो साल पूरे होने वाले हैं। इन दो सालों के दौरान सरकार ने जनता से जुड़े तमाम बड़े फैसले लिए। कुछ फैसलों की सराहना हुई तो कुछ में विपक्ष समेत जनता का भी विरोध झेलना पड़ा। हालांकि खुद को देश का मजदूर नंबर वन कहने वाले मोदी ने आम आदमी की तमाम छोटी-छोटी तकलीफों का बड़ा निदान निकालने की भरसक कोशिशें की हैं, फिर वो चाहे गरीबों को एलपीजी सिलेंडर मुहैया कराने की बात हो या फिर काशी में मछुआरों को ई-बोट बांटना। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि नरेंद्र मोदी ने इन दो सालों में जनता का कितना विश्वास जीता। तो जानिए केंद्र सरकार की बीते दो साल में क्या-2 बड़े फैसले और उपलब्धियां रही हैं। जन धन योजना के जरिए करीब 15 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुल गए, करीब 10 करोड़ रूपे कार्ड जारी हो गए और लोगों को लाइफ कवर और पेंशन की सुविधा मयस्सर हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन लोगों को इतना भाया कि इसमें साथ देने के लिए दिग्गज कारपोरेट हस्तियां भी कूद पड़ीं। अनिल अंबानी उसमे एक बड़ा नाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 तक पूर्ण स्वच्छता का वादा किया है। घरेलू गैस सिलेंडर को डॉयरेक्ट कैश-बैनिफिट ट्रांसफर स्कीम से जोड़ दिया, ताकि करीब 5 बिलियन डॉलर की सालाना सब्सिडी को बचाया जा सके। रेलवे में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी देने का एक बड़ा फैसला किया गया। रक्षा क्षेत्र में विदेश निवेश को मंजूरी दी जिसके तहत एफडीआई की सीमा को 49 फीसदी तक बढ़ा दिया और तकनकी स्थानांतरण क्षेत्र में इसे 74 फीसदी के करीब पहुंचा दिया। फ्रांस से रफेल विमान खरीद में तेजी देखने को मिली। भारत को फ्रांस से 36 रफेल विमान मिलने हैं। बीमा और निवेश क्षेत्र में एफडीआई को 49 फीसदी तक मंजूरी देना केंद्र सरकार का एक बड़ा फैसला रहा। 100 स्मार्ट शहरों की योजना से देश के करीब 100 गांव स्मार्ट सिटी में शुमार हो जाएंगे। तीन बड़े देशी अभियान मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया की पहल को अमली जामा पहना दिया। ताकि रोजगार सृजन भी किया जा सके। सरकार ने मुद्रा योजना की नई पहल की, जिसमें छोटे उद्यमियों को अपना कारोबार शुरु करने के लिए 50,000 से 10 लाख तक का लोन देने की सुविधा उपलब्ध है।
उपलब्धियों की तुलना में सरकार के समक्ष च्ाुनौतियां कहीं ज्यादा है। विदेशों में जमा काले धन पर कानून बन जाने के बाद इसे लागू करना इस सरकार के लिए सबसे बड़ी च्ाुनौती है। जनता का विश्वास अर्जित करने के लिए सरकार को इस दिशा में शीघ्र पहल करनी होगी। आखिर कालाधन और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर ही मोदी सरकार सत्ता में आयी थी। इसके अलावा भूमि अधिग्रहण का मुद्दा, वित्तीय घाटे को जल्द-से-जल्द तीन फीसदी पर सीमित करना, विभिन्न योजनाओं पर सरकारी खर्च बढ़ाने के लिए नवाचार(इन्नोवेशन) अपनाने की जरूरत शामिल है। इनके अलावा व्यापार की सुविधा के लिए 35 केंद्रीय कानूनों को सिर्फ चार नए कानूनों में समाहित करना। नकद सब्सिडी हस्तांतरण के दायरे में ऊर्वरक और भोजन को लाना। वस्तु एवं सेवा कर लागू करना, उत्पादकता बढ़ाने के लिए दूसरी हरित क्रांति लाना, कृषि उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय साझा बाजार बनाना, जिसमें कृषि उत्पादन विपणन समिति कृषि उत्पाद बेचने के विभिन्न विकल्पों में से एक होगी। व्यापक दीवालिया संहिता पर विवरण जारी करना। सरकारी बैंकों को नए पूंजी निवेश की जरूरत। विलय और पेशेवरों की नियुक्ति की आजादी। तनावग्रस्त संपत्ति के समाधान की कारगर प्रक्रिया अपनाना। सब्सिडी समाप्त करने के लिए व्यापक नीति पर कोई प्रारूप नहीं। कोल बेड मीथेन पर नई नीति जारी करनी बाकी। मौजूदा अल्ट्रा-मेगा बिजली परियोजनाओं की बदहाली, पांच घोषित नई अल्ट्रा-मेगा बिजली परियोजनाओं में अबतक कोई विकास नहीं। पुराने मामलों में न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) के मुद्दे का अबतक समाधान नहीं।
उपलब्धियों के साथ च्ाुनौतियां भी
एनडीए नीत नरेंद्र मोदी सरकार को दो साल पूरे होने वाले हैं। इन दो सालों के दौरान सरकार ने जनता से जुड़े तमाम बड़े फैसले लिए। कुछ फैसलों की सराहना हुई तो कुछ में विपक्ष समेत जनता का भी विरोध झेलना पड़ा। हालांकि खुद को देश का मजदूर नंबर वन कहने वाले मोदी ने आम आदमी की तमाम छोटी-छोटी तकलीफों का बड़ा निदान निकालने की भरसक कोशिशें की हैं, फिर वो चाहे गरीबों को एलपीजी सिलेंडर मुहैया कराने की बात हो या फिर काशी में मछुआरों को ई-बोट बांटना। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि नरेंद्र मोदी ने इन दो सालों में जनता का कितना विश्वास जीता। तो जानिए केंद्र सरकार की बीते दो साल में क्या-2 बड़े फैसले और उपलब्धियां रही हैं। जन धन योजना के जरिए करीब 15 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुल गए, करीब 10 करोड़ रूपे कार्ड जारी हो गए और लोगों को लाइफ कवर और पेंशन की सुविधा मयस्सर हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन लोगों को इतना भाया कि इसमें साथ देने के लिए दिग्गज कारपोरेट हस्तियां भी कूद पड़ीं। अनिल अंबानी उसमे एक बड़ा नाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 तक पूर्ण स्वच्छता का वादा किया है। घरेलू गैस सिलेंडर को डॉयरेक्ट कैश-बैनिफिट ट्रांसफर स्कीम से जोड़ दिया, ताकि करीब 5 बिलियन डॉलर की सालाना सब्सिडी को बचाया जा सके। रेलवे में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी देने का एक बड़ा फैसला किया गया। रक्षा क्षेत्र में विदेश निवेश को मंजूरी दी जिसके तहत एफडीआई की सीमा को 49 फीसदी तक बढ़ा दिया और तकनकी स्थानांतरण क्षेत्र में इसे 74 फीसदी के करीब पहुंचा दिया। फ्रांस से रफेल विमान खरीद में तेजी देखने को मिली। भारत को फ्रांस से 36 रफेल विमान मिलने हैं। बीमा और निवेश क्षेत्र में एफडीआई को 49 फीसदी तक मंजूरी देना केंद्र सरकार का एक बड़ा फैसला रहा। 100 स्मार्ट शहरों की योजना से देश के करीब 100 गांव स्मार्ट सिटी में शुमार हो जाएंगे। तीन बड़े देशी अभियान मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया की पहल को अमली जामा पहना दिया। ताकि रोजगार सृजन भी किया जा सके। सरकार ने मुद्रा योजना की नई पहल की, जिसमें छोटे उद्यमियों को अपना कारोबार शुरु करने के लिए 50,000 से 10 लाख तक का लोन देने की सुविधा उपलब्ध है।
उपलब्धियों की तुलना में सरकार के समक्ष च्ाुनौतियां कहीं ज्यादा है। विदेशों में जमा काले धन पर कानून बन जाने के बाद इसे लागू करना इस सरकार के लिए सबसे बड़ी च्ाुनौती है। जनता का विश्वास अर्जित करने के लिए सरकार को इस दिशा में शीघ्र पहल करनी होगी। आखिर कालाधन और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर ही मोदी सरकार सत्ता में आयी थी। इसके अलावा भूमि अधिग्रहण का मुद्दा, वित्तीय घाटे को जल्द-से-जल्द तीन फीसदी पर सीमित करना, विभिन्न योजनाओं पर सरकारी खर्च बढ़ाने के लिए नवाचार(इन्नोवेशन) अपनाने की जरूरत शामिल है। इनके अलावा व्यापार की सुविधा के लिए 35 केंद्रीय कानूनों को सिर्फ चार नए कानूनों में समाहित करना। नकद सब्सिडी हस्तांतरण के दायरे में ऊर्वरक और भोजन को लाना। वस्तु एवं सेवा कर लागू करना, उत्पादकता बढ़ाने के लिए दूसरी हरित क्रांति लाना, कृषि उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय साझा बाजार बनाना, जिसमें कृषि उत्पादन विपणन समिति कृषि उत्पाद बेचने के विभिन्न विकल्पों में से एक होगी। व्यापक दीवालिया संहिता पर विवरण जारी करना। सरकारी बैंकों को नए पूंजी निवेश की जरूरत। विलय और पेशेवरों की नियुक्ति की आजादी। तनावग्रस्त संपत्ति के समाधान की कारगर प्रक्रिया अपनाना। सब्सिडी समाप्त करने के लिए व्यापक नीति पर कोई प्रारूप नहीं। कोल बेड मीथेन पर नई नीति जारी करनी बाकी। मौजूदा अल्ट्रा-मेगा बिजली परियोजनाओं की बदहाली, पांच घोषित नई अल्ट्रा-मेगा बिजली परियोजनाओं में अबतक कोई विकास नहीं। पुराने मामलों में न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) के मुद्दे का अबतक समाधान नहीं।
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